यूपी एसटीएफ चीफ अमिताभ यश ने आजतक से की बात


उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर्स को लेकर एसटीएफ सवालों के घेरे में है. ये सवाल सुल्तानपुर में एक लाख के इनामी बदमाश मंगेश यादव के एनकाउंटर पर उठ रहे हैं. लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर बिना बुलेटप्रूफ जैकेट और चप्पल में किन परिस्थितियों में मुठभेड़ हुई. इसके अलावा मंगेश यादव की जाति को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. यूपी एसटीएफ के चीफ अमिताभ यश ने मंगलवार को आजतक से बात की और तमाम सवालों के जवाब दिए. 

अमिताभ यश ने कहा, ‘एसटीएफ का गठन अपराधियों के खिलाफ किया गया है. एसटीएफ परिस्थितियों के हिसाब के कार्रवाई करती है. जंगल के ऑपरेशन में अलग तरह के वस्त्रों का इस्तेमाल होता है. खुफिया कार्रवाई में एसटीएफ के लोग गंजी और लुंगी पहनकर भी जाते थे.’

‘कीचड़ में सन गया था अधिकारी का जूता’

उन्होंने कहा, ‘मंगेश यादव के एनकाउंटर में जो फोटोग्राफ पॉइंट आउट की जा रही है, मैंने अधिकारी से बात की तो उन्होंने बताया कि फोटो सूर्योदय के समय की है. पुलिस मुठभेड़ की घटना रात 3:30 बजे की है. दोनों में लगभग तीन घंटे का अंतर है. अधिकारी ने बताया कि उनका जूता कीचड़ से सन गया था इसलिए उन्होंने गाड़ी में रखी अपनी चप्पलों से उसे बदल लिया. यह कोई मुद्दा नहीं है. अपराधियों के खिलाफ जब कार्रवाई होती है तो जैसा समय होता है उस हिसाब से एसटीएफ तैयारी करती है.’

‘अपराधियों की एक ही बिरादरी होती है’

जाति को लेकर उठ रहे सवालों पर उन्होंने कहा, ‘अपराध किसी के भी खिलाफ हो सकता है. दो आरपीएफ के कॉन्सटेबल्स की हत्या हुई थी. उनका नाम जावेद खान और प्रमोद कुमार था. एसटीएफ ने इस अपराध को वर्कआउट किया और वर्कआउट करने से पहले यह बिल्कुल नहीं देखा गया कि मृतक कॉन्सटेबल किस बिरादरी के हैं. वर्दी की एक ही बिरादरी होती है, अपराधियों की भी एक ही बिरादरी होती है, वो सिर्फ अपराधी होते हैं.’

अमिताभ यश ने कहा, ‘जब भी अपराधी के खिलाफ कार्रवाई होगी तो उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जाएंगे, उसके खिलाफ साक्ष्य जुटाए जाएंगे. जब अपराधी पुलिस पर फायर करता है तो पुलिस भी फायर करती है. ये प्रक्रिया कोई आज की नहीं है. एसटीएफ बड़े अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करती है इसलिए उस पर फायरिंग होने की संभावना ज्यादा रहती है. एसटीएफ उस हिसाब से तैयारी और ट्रेनिंग भी करती है.’ 

उन्होंने कहा, ‘इस घटना में आरपीएफ के दो जवानों को बहुत ही नृशंस तरीके से मारा गया था. उनके शवों की ये हालत थी कि उनकी तस्वीरें भी शेयर नहीं की जा सकतीं. इस तरह के दुर्दांत अपराधी से हमें उम्मीद भी नहीं करनी चाहिए कि वो आसानी से पुलिस के आगे सरेंडर कर देंगे. गाजीपुर पुलिस और एसटीएफ के जॉइंट ऑपरेशन में अपराधी को गिरफ्तार करने की कोशिश की गई और वो मारा गया.’

‘यूपी में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन का नियम ही नहीं’

आउट ऑफ टर्न प्रमोशन के लिए एनकाउंटर के आरोपों पर उन्होंने कहा, ‘यूपी में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन का नियम पिछले आठ वर्षों से नहीं है. किसी को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन नहीं मिलता. अवॉर्ड और रिवॉर्ड अपराधी को गिरफ्तार करने पर और मुठभेड़ में उसके मारे जाने पर बराबर ही मिलता है. गिरफ्तार करने पर अवॉर्ड आसानी से मिल जाता है. लेकिन अपराधी के मरने पर जांच के पूरे होने के बाद अवार्ड मिलता है. 

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