दिल्ली CM पद की रेस में किसकी दावेदारी सबसे मजबूत?


‘किस्सा कुर्सी का’ भारतीय सिने इतिहास की सबसे विवादास्पद फिल्म मानी जाती है. एक ऐसी फिल्म जिसके गुड़गांव में प्रिंट जलाए गए. लेकिन ये बात पुरानी है. अब दिल्ली में कुर्सी का किस्सा सुर्खियों में है. गली-मोहल्लों में इस बात की चर्चा हो रही है कि अरविंद केजरीवाल के बाद दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा? मुख्यमंत्री की कुर्सी एक है और दावेदार 4 बताए जा रहे हैं. आतिशी, कैलाश गहलोत. गोपाल राय और सौरभ भारद्वाज के नामों की चर्चा है लेकिन सबसे ज्यादा जिस नाम का जोर है वो आतिशी का है. जिन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के दावेदारों में नंबर-1 बताया जा रहा है.

अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी का अगर कोई एक नेता सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा तो वो आतिशी हैं. अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद से ही वो मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे बताई जाने लगीं. अरविंद केजरीवाल अब जेल से बाहर हैं और पद छोड़ने का ऐलान कर चुके हैं. ऐसे में दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन होगा, 10 साल में पहली बार ये सवाल दिल्ली और देश के सामने है.

दिल्ली के सीएम की रेस में चार नाम

आम आदमी पार्टी भले ही अगले सीएम पर सस्पेंस बनाकर रखे लेकिन 4 नेताओं के नाम मुख्यमंत्री पद की रेस में बताए जाते हैं जिसमें एक नाम आतिशी का भी है. चाहे दिल्ली पुलिस से भिड़ना हो या फिर छापेमारी के दौरान तमतमाना, पार्टी का रुख रखना हो या फिर MCD के स्कूलों पर छापे डालना आतिशी सोशल मीडिया पर छाई रहती हैं. लेकिन सबसे बड़ी बात जो आतिशी को आम आदमी पार्टी में सबसे खास बनाता है वो है केजरीवाल से नजदीकी. तो क्या इसीलिए अरविंद केजरीवाल जेल से अपना पहला आदेश उन्हें ही भेजते हैं?

यही नहीं 15 अगस्त को केजरीवाल ने जेल में रहते हुए दिल्ली में तिरंगा फहराने के लिए अपनी तरफ से आतिशी का ही नाम भेजा था. आतिशी न सिर्फ दिल्ली सरकार में इकलौती महिला मंत्री हैं बल्कि उनके पास इस वक्त दिल्ली सरकार में सबसे ज्यादा मंत्रालय भी हैं. आतिशी ही शिक्षा विभाग, PWD, जल विभाग, राजस्व, योजना और वित्त विभाग संभाल रही हैं. महिला वोट और महिलाओं से जुड़े केजरीवाल के आगे के वादों को ध्यान में रखते हुए भी आतिशी का नाम अहम बताया जाता है. 

सबसे मजबूत दावेदार आतिशी 

आतिशी चाहे जो कहें लेकिन अरविंद केजरीवाल ने खुद पर गिरफ्तारी की तलवार लटकने से पहले ही उन्हें न सिर्फ 9 मार्च 2023 को कैबिनेट मंत्री बनाया बल्कि सबसे ज्यादा मंत्रालय भी दे दिए. अब सवाल ये है कि क्या आतिशी मुख्यमंत्री पद की भी शपथ लेंगी.

आतिशी का जन्म दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विजय कुमार सिंह और त्रिप्ता वाही के घर हुआ. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा नई दिल्ली स्प्रिंगडेल स्कूल से की. उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज में इतिहास का अध्ययन किया और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में शेवनिंग छात्रवृत्ति पर मास्टर की डिग्री हासिल की. ​​कुछ साल बाद, उन्होंने शैक्षिक अनुसंधान में रोड्स स्कॉलर के रूप में ऑक्सफोर्ड से अपनी दूसरी मास्टर डिग्री हासिल की. उन्होंने मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में सात साल बिताए, जहां वह जैविक खेती और प्रगतिशील शिक्षा प्रणालियों से जुड़ीं. उन्होंने वहां कई गैर-लाभकारी संगठनों के साथ काम किया, जहां उनकी पहली बार AAP के कुछ सदस्यों से मुलाकात हुई और वो आम आदमी पार्टी से जुड़ गईं. 

आतिशी आम आदमी पार्टी की स्थापना के समय ही पार्टी में शामिल हो गई थीं. वो 2013 के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की घोषणापत्र मसौदा समिति की प्रमुख सदस्य थीं. उन्होंने ‘पार्टी के गठन के शुरुआती दौर में इसकी नीतियों को आकार देने’ में अहम भूमिका निभाई थी. इसके अलावा आतिशी ने पार्टी प्रवक्ता के तौर पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. केजरीवाल की तरह वो मनीष सिसोदिया के भी करीब हैं. उन्होंने मनीष सिसोदिया की सलाहकार के रूप में काम भी किया और उनकी गैरमौजूदगी में शिक्षा मंत्रालय का भी काम संभाला. तो आतिशी को अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया दोनों का भरोसा हासिल है. अब सवाल ये है कि क्या मुख्यमंत्री पद की रेस में यही आतिशी की सबसे बड़ी ताकत साबित होगी?

क्या पार्टी के लिए तुरुप का इक्का साबित होंगे कैलाश गहलोत?

रविवार को केजरीवाल ने जिस मंच से इस्तीफा देने का ऐलान किया, उसी मंच पर पिछली कतार में बैठे एक मंत्री कैलाश गहलोत भी थे. कैलाश गहलोत के साथ सीएम पद के बाकी उम्मीदवार भी दिख रहे थे लेकिन कैलाश गहलोत की अपनी ताकत है. आखिरी बार कैलाश गहलोत दिल्ली में झंडा फहराने के विवाद के बाद सुर्खियों में आए थे. केजरीवाल चाहते थे कि आतिशी उनकी जगह झंडा फहराएं. वहीं LG ने कैलाश गहलोत को चुना. तब कैलाश गहलोत ने भावुक होते हुए अपने नेता को ‘आधुनिक स्वतंत्रता सेनानी’ बताया था.

अब सवाल ये है कि क्या केजरीवाल कैलाश गहलोत पर दांव लगाएंगे? अगर हां तो क्यों? 50 साल के कैलाश गहलोत ने साल 2015 में नजफगढ़ से चुनाव जीता और 2 बार से विधायक और मंत्री हैं. उनके पास इस वक्त ट्रांसपोर्ट, राजस्व विभाग, प्रशासनिक सुधार, कानून मंत्रालय, न्याय और विधायी मामलों का मंत्रालय और महिला और बाल विकास मंत्रालय हैं. 

जिस शराब घोटाले में केजरीवाल फंसे हैं उसी मामले में ED उनसे पूछताछ कर चुकी है. इसके अलावा वह गहलोत आयकर विभाग की जांच के दायरे में आ चुके हैं. टैक्स चोरी के एक मामले में उनसे जुड़े ठिकानों की तलाशी भी ली गई. लेकिन जाट परिवार से आने वाले कैलाश गहलोत हरियाणा में आम आदमी पार्टी के काफी काम आ सकते हैं. उनका क्षेत्र नजफगढ़ दिल्ली के बाहरी इलाकों में है और गुड़गांव-बहादुरगढ़ के नजदीक है. हरियाणा में जाट BJP से नाराज बताए जाते हैं. ऐसे में कैलाश गहलोत हरियाणा में पार्टी के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं. 

अब सवाल ये है कि क्या कैलाश गहलोत को सीएम बनाकर केजरीवाल हरियाणा में खेल करेंगे? दिल्ली और पंजाब के बाद हरियाणा में आम आदमी पार्टी को सबसे ज्यादा संभावनाएं दिखती हैं. लेकिन चुनाव में कम वक्त बचा है ऐसे में क्या कैलाश गहलोत को मुख्यमंत्री बनाकर आम आदमी पार्टी हरियाणा को साधने की कोशिश करेगी? केजरीवाल पहले ही कह चुके हैं कि मनीष सिसोदिया मुख्यमंत्री पद की रेस में नहीं हैं. कैलाश गहलोत पर पहले से ही ईडी के मामले में पूछताछ हो चुकी है. ऐसे में क्या गोपाल राय की लॉटरी लगेगी?

अनुभव के आधार पर गोपाल राय की दावेदारी भी मजबूत 

अन्ना आंदोलन से लेकर दिल्ली में दो-दो बार सरकार बनाने तक अरविंद केजरीवाल के साथ जो चेहरा लगातार पार्टी में रहा उसमें गोपाल राय भी शामिल हैं. मनीष सिसोदिया और संजय सिंह की तरह वो भी आम आदमी पार्टी के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक हैं. यही वजह है कि वो अरविंद केजरीवाल के साथ आगे की कतार में बैठते हैं.

केजरीवाल ने जिस सभा में इस्तीफे का ऐलान किया वहां गोपाल राय सीएम के दावेदार बताए जा रहे नेताओं से आगे मंच पर बैठे दिखे. वरिष्ठता क्रम के आधार पर गोपाल राय की भी दावेदारी बड़ी हो जाती है. कई मौकों पर वह पार्टी के लिए संकटमोचक बनकर उभरे हैं. उन्हें जमीन पर काम करने का अनुभव है और छात्र राजनीति में सक्रिय रहे हैं. दिल्ली सरकार में गोपाल राय के पास पर्यावरण, वन और वाइल्डलाइफ विभाग है.

गोपाल राय को प्रचार के दौरान एक बार गोली लग गई थी, जिसकी वजह से वो आंशिक तौर पर लकवाग्रस्त हो गए थे. मजदूरों और पर्यावरण के मुद्दों पर गोपाल राय को काम करने का बहुत अनुभव है. दिल्ली के बड़े मुद्दों पर काम करने और संघर्ष करने की क्षमता ने गोपाल राय की दावेदारी को मजबूत कर दिया है.

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि गोपाल राय एक सुलझे हुए नेता हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता होने के नाते सभी उनका सम्मान करते हैं. आम आदमी पार्टी उन्हें दिल्ली का सीएम बनाकर अपने विरोधियों को घेरने को कोशिश कर सकती है. आम आदमी पार्टी 2025 के दिल्ली विधानसभा को ध्यान में रखते हुए गोपाल राय को दिल्ली के सीएम की जिम्मेदारी दे सकती है.

चर्चा में सौरभ भारद्वाज की दावेदारी

केजरीवाल को लेकर आम आदमी पार्टी से आज चौंकाने वाला बयान आया. केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा की तुलना प्रभु राम के राजगद्दी त्यागने से की गई. यही नहीं केजरीवाल को हनुमान भक्त बताते हुए राजनीति का मर्यादा पुरुष घोषित कर दिया गया. ये बयान सौरभ भारद्वाज ने दिया. जो सीएम की कुर्सी के चौथे दावेदार बताए जाते हैं. दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री के लिए सौरभ भारद्वाज का नाम सियासी गलियारों में सुर्खियां बटोर रहा है. सौरभ भारद्वाज के पास इस वक्त भारी भरकम विभागों की जिम्मेदारी है. वो सरकार और संगठन के मोर्चे पर पार्टी में अपनी उपयोगिता साबित कर चुके हैं.

सौरभ भारद्वाज विरोधियों पर कड़ा प्रहार करते हैं और मुख्यधारा में रखकर ही विरोधियों पर बरसते हैं. जैसे ही केजरीवाल ने सीएम पद छोड़ने का ऐलान किया तो सौरभ भारद्वाज ने केजरीवाल को हनुमान भक्त बता दिया. अब सौरभ भारद्वाज कह रहे हैं कि जैसे राम के वनवास जाने के बाद खड़ाऊं रखकर अयोध्या में भरत ने शासन चलाया था वैसे ही दिल्ली में भी शासन चलाया जाएगा. सौरभ भारद्वाज ये भी कह रहे हैं कि केजरीवाल ने अब इस्तीफा देकर, बीजेपी के इरादों पर पानी फेर दिया है. वहीं बीजेपी कह रही है कि अरविंद केजरीवाल के पास इस्तीफा देने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा था. बता दें कि आम आदमी पार्टी में इस वक्त आतिशी के बाद कोई सबसे सक्रिय नेता कोई नजर आता है तो वो हैं सौरभ भारद्वाज और इसीलिए सीएम पद को लेकर, सौरभ भारद्वाज की दावेदारी की बात चल रही है.

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