चाइनीज लहसुन (फाइल फोटो)


पिछले 10 साल से प्रतिबंध के बावजूद देशभर में बिक रहे चाइनीज लहसुन को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की गई है. जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओपी शुक्ला की डबल बेंच में याचिका दायर हुई है. याचिका में कहा गया है कि चीनी लहसुन साल 2014 से प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से बिक रहा है. 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के नामित अधिकारी को शुक्रवार को तलब किया है, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि प्रतिबंधित “चीनी लहसुन” अभी भी बाजार में कैसे उपलब्ध है.

कोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्र के वकील से देशभर में ऐसी वस्तुओं के प्रवेश को रोकने के लिए मौजूद सटीक तंत्र के बारे में भी पूछा है. साथ ही पूछा कि क्या एंट्री के सोर्स का पता लगाने के लिए कोई प्रैक्टिस की गई है और सरकार इसे कैसे रोकने का प्रस्ताव करती है.

न्यायमूर्ति राजन रॉय और ओपी शुक्ला की बेंच ने वकील मोतीलाल यादव द्वारा दायर एक जनहित याचिका मामले पर यह आदेश पारित किया. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि देश में चाइनीज लहसुन अपने हानिकारक प्रभावों के कारण प्रतिबंधित है. अदालत को बताया गया कि प्रतिबंध के बावजूद ऐसा लहसुन लखनऊ सहित पूरे देश में आसानी से उपलब्ध है.

याचिकाकर्ता ने अदालती कार्यवाही के दौरान न्यायाधीशों के समक्ष लगभग आधा किलो चाइनीज लहसुन और सामान्य लहसुन भी पेश किया था. 

बता दें कि FSDA के अफसरों को शुक्रवार को कोर्ट में तलब किया गया है, चीनी लहसुन स्वास्थ्य के लिए कितना घातक है, इसकी जांच के लिए इसके सैंपल को लैब में भेजा जाएगा. 

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