जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 के खात्मे के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनको लेकर लोगों के बीच काफी उत्साह देखने को मिला. मतदान केंद्रों के बाहर सुबह से ही लंबी कतारें लगी रहीं. विधानसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण में मंगलवार को 68.72% मतदान हुआ जो लोकसभा चुनाव के आंकड़ों से ज्यादा है. सोपोर और बारामूला समेत सात जिलों में पिछले तीन दशकों में किसी चुनाव में सबसे ज्यादा वोटिंग हुई है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार तीन चरणों में 63.45 प्रतिशत मतदान हुआ.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, तीन चरणों में कुल 63.45% मतदान रहा. अधिकारियों ने बताया कि सभी क्षेत्रों में मतदान शांति से संपन्न हुआ, जिसमें इंटरनेशनल बॉर्डर और नियंत्रण रेखा (LoC) के पास विशेष मतदान केंद्र भी शामिल थे. कहीं से भी कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है.
3 दशक पुराना रिकॉर्ड टूटा
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण में भी मतदान प्रतिशत लोकसभा चुनाव से ज्यादा था. पहले चरण में सात जिलों में 61.38% मतदान हुआ, जबकि लोकसभा चुनाव में यह 60% था. इसी तरह दूसरे चरण में छह जिलों में 57.31% मतदान हुआ जो लोकसभा चुनावों के 52.17% से काफी ज्यादा था. हालांकि, 2014 के विधानसभा चुनावों की तुलना में तीसरे चरण में जम्मू, उधमपुर, कठुआ और सांबा के सात जिलों और उत्तर कश्मीर के बारामुला, बांदीपोरा और कुपवाड़ा में मतदान प्रतिशत में गिरावट देखी गई थी. अधिकांश सीटों पर 2014 के मुकाबले 1 से 15% की गिरावट दर्ज की गई. जबकि सोपोर, बारामूला और पट्टन में प्रतिशत इस बार बढ़े हैं.
सोपोर जो कभी आतंकवाद और अलगाववाद का गढ़ माना जाता था. वहां 41.44% मतदान रिकॉर्ड किया गया है जो 2014 के 30.79% से काफी बेहतर है. वहीं, वोटिंग के मामले में सुस्त माने जाने वाला बारामूला में 47.95 प्रतिशत मतदान हुआ है. जबकि साल 2014 में यहां 39.73% था तो पट्टन में 60.87% मतदान हुआ है, जहां पिछले चुनाव में 58.72 मतदान से ज्यादा है.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, तीसरे चरण में 39.18 लाख से अधिक योग्य मतदाताओं में से अनुमानित 68.72% ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. हालांकि, ये आंकड़ा “अनुमानित प्रवृत्ति” के रूप में बताया गया है, क्योंकि इसमें पोस्टल बैलेट शामिल नहीं हैं और कुछ मतदान केंद्रों से डेटा अभी-भी नहीं जुटाया जा सका है.
8 अक्टूबर को होगी मतगणना
तीसरे चरण के लिए 7 जिलों की 40 सीटों पर सुबह 7 बजे से कड़ी सुरक्षा के बीच शाम 6 बजे तक मतदान हुआ. इस चरण में 415 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में बंद हो गई, जिनमें पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद और मुजफ्फर बेग समेत कई पूर्व मंत्री और विधायक शामिल हैं. वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी.
सांबा जिले में सबसे अधिक 73.45% मतदान हुआ, जबकि उधमपुर में 72.91%, कठुआ में 70.53%, जम्मू में 66.79%, बांदीपोरा में 64.85%, कुपवाड़ा में 62.76% और बारामूला में 55.73% मतदान हुआ. जम्मू जिले के छंब निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक 77.35% मतदान दर्ज किया गया.
कई मायनों में खास था विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव कई मायनों में खास था. जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 के हटने के बाद से यहां पहली बार पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी, वाल्मीकि समाज और गोरखा समुदाय के सदस्यों ने विधानसभा चुनाव पहली बार वोट डाला है. इन समुदायों ने साल 2019 और 2020 में हुए ब्लॉक विकास परिषद और जिला विकास परिषद चुनावों में भी भाग लिया था.
चुनाव आयोग ने बताया कि इस बार विधानसभा चुनावों में धन और पावर की भूमिका को भी काफी हद तक सीमित कर दिया गया. विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों के समन्वित प्रयासों से चुनावों के दौरान कुल 130 करोड़ रुपये जब्त किए जो जम्मू-कश्मीर चुनाव के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी राशि है. आयोग ने कहा कि बरामदगी में 110.45 करोड़ रुपये की ड्रग्स भी शामिल हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान ये आंकड़ा 100.94 करोड़ रुपये से ज्यादा था.