हिज़्बुल्लाह चीफ की इजरायल द्वारा की गई हत्या के बाद उसके सम्मान में इराक में 100 से अधिक नवजात बच्चों का नाम ‘नसरल्लाह’ रखा गया है. नसरल्लाह की मौत ने जहां एक ओर मध्य पूर्व में हलचल मचा दी है, वहीं दूसरी ओर उसके नाम की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है. नसरल्लाह को इजरायल के खिलाफ संघर्ष और प्रतिरोध का प्रतीक माना जाता था. अब अपनी मौत के बाद वह अपने नाम से नई पीढ़ी में प्रेरणा के स्रोत बन रहा है.
इजरायली हवाई हमले में हसन नसरल्लाह की मौत
इजरायल ने 27 सितंबर 2024 की रात एक हवाई हमले में हिज़्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को मार गिराया. यह हमला बेरूत के दहियेह इलाके में हुआ, जिसे हिज़्बुल्लाह का गढ़ माना जाता है. यहां एयरस्ट्राइक कर इजरायल ने हिज्बुल्लाह के हेडक्वार्डर को नस्तेनाबूत कर दिया. इसी 6 मंजिला इमारत के नीचे बने हेडक्वार्टर में नसरल्लाह मौजूद था. उसकी मौत न केवल हिज़्बुल्लाह के लिए बल्कि पूरे अरब वर्ल्ड के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. इजरायल ने इस हमले को अपनी बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा. लेकिन इस घटना के बाद नसरल्लाह की लोकप्रियता और उसके प्रति सम्मान ने एक नया रूप ले लिया है. यही कारण है कि अरब देशों के लोग अपने नवजात बच्चों का नाम ‘नसरल्लाह’ रख रहे हैं.
‘नसरल्लाह’ नाम की बढ़ती लोकप्रियता
अरब देशों में ‘नसरल्लाह’ नाम हमेशा से एक खास महत्व रखता आया है. इसका अर्थ है ‘ईश्वर की सहायता’ और यह नाम संघर्ष और प्रतिरोध की भावना से जुड़ा हुआ है. हसन नसरल्लाह के कारण यह नाम और भी अधिक चलन में आ गया. उसकी मौत के बाद इराक में अब तक 100 से अधिक बच्चों का नाम ‘नसरल्लाह’ रखा गया है.
इराक के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि लेबनानी हिज़्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की मौत के बाद से लगभग 100 नवजात बच्चों का नाम ‘नसरल्लाह’ रखा गया है. लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंत्रालय ने इराक के अलग-अलग क्षेत्रों में 100 नवजातों के नाम नसरल्लाह के रूप में रजिस्टर किए हैं. यह इस बात का संकेत है कि नसरल्लाह की मौत के बाद भी उसका नाम एक गहरी छाप छोड़ रहा है.
नसरल्लाह नाम रखने का मकसद
रिपोर्ट्स के मुताबिक नसरल्लाह नाम रखने वाले माता-पिता इसे सिर्फ एक नाम नहीं मानते बल्कि यह उनके लिए साहस, प्रतिरोध और धार्मिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है. उनके अनुसार यह नाम हसन नसरल्लाह के प्रति सम्मान प्रकट करने का उनका तरीका है. साथ ही वो ये भी मानते हैं कि इस नाम से उनके बच्चे नसरल्लाह के विचारों और उसकी लीडरशिप से प्रभावित होंगे. ऐसा मालूम होता है कि अरब के कुछ देशों में अब यह नाम एक नए युग के लिए प्रतिरोध और संघर्ष की पहचान बनने की ओर आगे बढ़ रहा है.
कौन था हसन नसरल्लाह?
हसन नसरल्लाह ने 1992 में हिज़्बुल्लाह का नेतृत्व संभाला था. उसे लोग एक करिश्माई नेता मानते थे जो इजरायल के खिलाफ प्रतिरोध का एक मजबूत चेहरा बनकर सामने आया. उसने लेबनान में हिज़्बुल्लाह को एक मजबूत सैन्य और राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित किया. उसकी रणनीति और भाषण अरब दुनिया में काफी प्रभावशाली रहे. उसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती गई. अब उनकी मौत के बाद भी समर्थक उसे एक हीरो के रूप में याद कर रहे हैं.
आखिर नसरल्लाह का महत्व क्यों है?
हसन नसरल्लाह न केवल का हिज़्बुल्लाह चीफ और नेता था, बल्कि अरब दुनिया में प्रतीक का एक चेहरा बन चुका था. उसके नेतृत्व में हिज़्बुल्लाह ने इजरायल के खिलाफ लगातार संघर्ष किया और नसरल्लाह ने इस संघर्ष को धर्म और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य के रूप में पेश किया. यही कारण है कि उसकी मौत के बाद मुस्लिम देशों में उसके नाम को अपनाने का एक नया रुझान देखा जा रहा है.
अरब की दुनिया का सबसे प्रशंसित नेता नसरल्लाह
2008 में हुए एक सर्वे के अनुसार नसरल्लाह को अरब दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता माना गया. उसकी लोकप्रियता का आधार न केवल उसकी लीडरशिप की क्षमता थी, बल्कि इजरायल के खिलाफ उनके कड़े रुख और संघर्ष ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई. उसकी इस छवि ने उसे अरब की जनता के बीच एक आदर्श नेता के रूप में स्थापित कर दिया.
हसन नसरल्लाह की मौत से जहां एक ओर मध्य पूर्व की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है तो वहीं दूसरी ओर उसके नाम के प्रतीकात्मक उपयोग के जरिए उसकी छवि को और मजबूत करने की कोशिश की जा रही है. नाम रखने की पहल से यह समझा जा सकता है कि अरब दुनिया में नसरल्लाह नाम अब भी संघर्ष, प्रतिरोध और सम्मान का प्रतीक बना हुआ है. इराक में नवजात बच्चों को नसरल्लाह नाम देने का कदम इस बात की ओर इशारा भी करता है. साथ ही यह इस बात का संकेत भी है कि वहां के लोग उसके विचार और उसकी विरासत आने वाली पीढ़ियों में भी जिंदा रखने की कोशिश में लगे हुए हैं.