राजस्थान पुलिस ने बिहार के रक्सौल से एक शातिर कातिल को पकड़ा है.


पुलिस वालों के खुफिया तरीके से अपने टारगेट का पीछा करने और उन्हें गिरफ्तार करने के किस्से तो कोई बार सुने होंगे, लेकिन आज आपको वारदात में एक मुल्ज़िम की गिरफ्तारी की ऐसी कहानी सुनाएंगे, जैसी आपने इससे पहले कभी नहीं सुनी होगी. ये कहानी पुलिस के एक सीक्रेट ऑपरेशन की है. इसकी शुरूआत नेपाल सीमा से सटे बिहार के रक्सौल इलाके होती है. यहां नेपाल से करीब 1500 किलोमीटर दूर राजस्थान के जोधपुर से पुलिस की एक टीम करीब 6 वर्षों से फरार मुल्ज़िम की तलाश करने पहुंचती है. इस टीम को खबर मिली है कि उनका मुल्जिम यहां स्थिति महादेव होटल में ठहरा है.

यहां उस मुल्जिम की पहचान पता कर उसे गिरफ्तार करना एक बड़ी चुनौती बन जाती है. वजह ये है कि अव्वल तो मुल्जिम बेहद शातिर है. उस पर कत्ल का जुर्म साबित हो चुका है. दूसरा ये कि वो छह वर्षों से लगातार पुलिस को छका रहा है. इन दिनों वो एक शातिर ड्रग नेटवर्क का ऐसा किंगपिन है, जिसकी तलाश राजस्थान के साथ-साथ बिहार और झारखंड की पुलिस भी कर रही है. इस इलाके में घेरेबंदी कर मुल्जिम को पकड़ना कोई हंसी खेल नहीं है. क्योंकि पुलिस के पहुंचने की जरा भी भनक मिलने पर वो ना सिर्फ फरार हो सकता है, बल्कि अपना और दूसरों का नुकसान भी कर सकता है. 

राजस्थान पुलिस की टीम फूंक-फूंक कर कदम रखती हुई सबसे पहले बॉर्डर के उस होटल में पहुंचती है. पुलिस वाले पहले होटल के रिशेप्सन में रूम लेने की बात कहते हुए अपनी बातचीत शुरू करते हैं, ताकि किसी को ये शक ना हो वो किसी मिशन के तहत यहां पहुंचे हैं. लेकिन बातों ही बातों में वो यहां ठहरे हुए अपने टारगेट के बारे में भी जानकारी पता कर लेते हैं. इत्तेफाक से उन्हें अपने टारगेट का नाम होटल की बुकिंग रजिस्टर में मिल भी जाता है. लेकिन दिक्कत ये है कि उन्हें जिस आदमी की तलाश है, उसका नाम वीरमाराम है, जबकि यहां रजिस्टर में जिस शख्स की एंट्री है, उसका नाम जगाराम है. 

बीरमाराम और जगाराम नाम के बीच कंफ्यूज हुई राज्थान पुलिस

इत्तेफाक से बीरमाराम का ताल्लुक भी राजस्थान के बारमेड़ से है और यहां जिस जगाराम के नाम की एंट्री है, उसके नाम के साथ भी बाड़मेर ही लिखा है. अब सवाल उठता है कि क्या ये महज इत्तेफाक है? या फिर इन पुलिस वालों का वो टारगेट अपनी पहचान छुपाने के लिए झूठे नाम से यहां रुका हुआ है? खैर पुलिस की टीम एक स्टाफ के साथ उस डॉरमेट्री तक पहुंचती है, जिसमें कई लोग रुके हुए हैं. यहां दो-चार लोगों से पूछताछ करने के बाद पुलिस को आखिर जगाराम भी उसी डॉरमेट्री में सोया हुआ मिल जाता है. पहले तो जगाराम अपना नाम वही बताता है और पहचान के तौर पर आईकार्ड भी देता है.

लेकिन जब पुलिस जब उसे बताती है कि वो बीरमाराम नाम के एक शख्स को गिरफ्तार करने राजस्थान से यहां आए हैं, तो घबराहट के मारे जगाराम सच्चाई उगल देता है. वो बताता है कि वही बीरमाराम है और क़त्ल के एक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद पेरोल जंप कर छह सालों से फरारी काट रहा है. यानी इन सालों से जिस बीरमाराम की तलाश में राजस्थान पुलिस जर्रा जर्रा छान रही थी, वो आखिरकार रक्सौल के एक होटल की डॉरमेट्री से कुछ इस हाल में गिरफ्तार होता है, जिसके बारे में सोचना भी मुश्किल है. ख़ैर पुलिस वाले पहले तसल्ली करते हैं कि गिरफ्त में आया शख्स वाकई बीरमाराम ही है. 

राजस्थान पुलिस का ऑपरेशन ओल्ड मॉन्क, पकड़ा गया क्रिमिनल

उसके साथ वहीं से वो फोन पर अपने आलाधिकारियों को इत्तिला भी करते हैं. इसी के साथ राजस्थान पुलिस का एक बड़ा और चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन आखिरकार पूरा होता है. वो ऑपरेशन जिसका नाम पुलिस ने ऑपरेशन ओल्ड मॉन्क रखा था. लेकिन अब सवाल ये है कि आखिर बीरमाराम का पूरा इतिहास क्या है? आखिर उसके सिर पर किसके कत्ल का गुनाह है? वो कब से और क्यों भागा-भागा फिर रहा है और इन दिनों वो क्या कर रहा था? तो आइए अब आपको बीरामराम की पूरी जन्म कुंडली के बारे में जानते हैं. आज से कोई दस साल पहले यानी साल 2010 में बीरमाराम ने बाड़मेर में एक शख्स की हत्या की थी.

वो शख्स, जिसकी नाबालिग बीवी के साथ बीरमाराम के रिलेशन थे, और उसी नाबालिग लड़की के साथ मिलकर बीरमाराम उसके पति धर्माराम के क़त्ल की साजिश रची थी. उसने धर्माराम की जान लेकर उसकी लाश एक नहर में फेंक दी थी. इसके बाद बाड़मेर पुलिस ने ना सिर्फ उसे गिरफ्तार कर लिया था, बल्कि सबूतों के आधार पर उसे अदालत से सजा दिलाने में भी कामयाब हो गई थी. लेकिन जेल में कुछ सालों का वक़्त गुजारने के बाद बीरमाराम को पेरोल मिल गई. लेकिन वो कानून का पालन करते हुए पेरोल खत्म होने पर जेल वापस जाने की जगह पेरोल जंप कर भाग निकला. ये कोई छह साल पुरानी बात होगी. 

अपराधी की मॉडस ऑपरेंडी, पुलिस को ऐसे देता रहा था चकमा

तब से लेकर अब तक राजस्थान की पुलिस बीरमाराम की तलाश कर रही थी. इस बीच बीरमाराम ने राजस्थान से दूर झारखंड की राजधानी रांची में अपना ठिकाना बना लिया और वहां के एक ड्रग रैकेट से जुड़ गया. अब बीरमाराम रांची से राजस्थान नशे की खेप पहुंचाने लगा. खास बात ये रही कि पिछले छह सालों से उसने कभी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं किया. उसे जब भी जरूरत होती, वो अपने लोगों से इंटरनेट कॉलिंग के सहारे बात करता. कभी किसी मोबाइल से अगर किसी को फोन भी करता, तो फौरन वो सिम कार्ड तोड़ कर फेंक देता. इसी मॉडस ऑपरेंडी की बदौलत वो इतने लंबे वक्त तक पुलिस को चमका देने में कामयाब रहा.

आखिरकार जोधपुर पुलिस की एक टीम ने उसके बारे में जानकारी जुटाई और उसे ट्रैक करना शुरू किया. पुलिस टीम को पता चला कि इस वक्त वो नेपाल बॉर्डर के पास बिहार के ही एक होटल में रुका है. इसी पिन प्वाइंट इनफॉर्मेशन की बदौलत आखिरकार पुलिस ने ये ऑपरेशन प्लान किया और पूरे छह सालों के बाद एक खतरनाक मुल्जिम को गिरफ्तार कर लिया. राजस्थान पुलिस उसे ट्रांजिट रिमांड पर वापस लाई और अब उससे तमाम केसों में पूछताछ की जा रही है.

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