हमास के बाद अब इजरायल की जंग हिज्बुल्लाह के साथ भी शुरू है. इजरायल लेबनान में लगातार हिज्बुल्लाह के ठिकानों को निशाना बना रहा है. इस बीच आज तक ने भारत में इजरायल के राजदूत रुवेन अजार से बातचीत की. रुवेन ने बातचीत में कहा,’हिज्बुल्लाह को लगा की इजरायल कमजोर है. लेकिन अब उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और अगर ईरान बीच में आता है तो यह उसकी बड़ी गलती होगी.’
रुवेन अजार ने आगे कहा,’इजरायल युद्ध विराम की कोशिश कर रहा है. पिछले 11 महीनों (8 अक्तूबर 2023) से हिज्बुल्लाह इजरायल पर बिना उकसावे के हमला कर रहा है. हमारी नीति का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा प्रस्ताव 1701 को लागू करना है, जिसमें बहुत स्पष्ट रूप से कहा गया है कि हिज्बुल्लाह को इजरायली सीमा पर तैनाती की अनुमति नहीं है. अगर हिज्बुल्लाह इस पर सहमत होता है तो युद्ध नहीं होगा. तत्काल युद्ध विराम हो जाएगा, लेकिन दुर्भाग्य से पिछले कुछ महीनों में संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में कूटनीतिक प्रयासों के बावजूद ऐसा नहीं हो पा रहा है. हिज्बुल्लाह के हमलों के कारण ही इजरायल में 70 लोगों को उनके घरों को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. हमारे लोग अपने घरों में वापस जाना चाहते हैं.
‘हमने लेबनान में सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया’
राजदूत रुवेन अजार ने कहा,’हमने 1700 सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, उनमें से ज्यादातर दक्षिण लेबनान के गांवों में घरों के अंदर थे, जहां हिज्बुल्लाह ने अनैतिक तरीके से अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए हथियार और मिसाइलें छिपाकर रखी थीं. हथियार छिपाने के लिए वहां नागरिक मौजूद हैं. हमने खुफिया जानकारी एकत्र की है और वास्तव में हमने शुरू करने से पहले वहां या उसके आस-पास रहने वाले सभी लोगों को तुरंत खाली करने के लिए प्रोत्साहित किया.’
लेबनान सरकार 5 लाख लोगों को कर चुकी है रेस्क्यू
उन्होंने आगे कहा,’गाजा की स्थिति से अलग है, जहां हमास ने बंदूक की नोंक पर लोगों पर गोली चलाई और एग्जिट रोकने की कोशिश की. यहां आपकी स्थिति अलग है, क्योंकि दक्षिणी लेबनान का क्षेत्र व्यापक है और हमने देखा है कि लेबनानी सरकार की रिपोर्टों के मुताबिक पांच लाख लोगों को वहां से निकाला जा चुका है.’
हमारे पास बड़ी सेना नहीं, लेकिन खुद को संगठित किया
रुवेन ने कहा,’सबसे पहले 7 अक्टूबर को हम सभी खतरों से एक साथ नहीं निपट सकते थे. हमारे पास एक मजबूत सेना है, लेकिन यह इतनी बड़ी नहीं है. हमें खुद को संगठित करना था. हमें सबसे पहले गाजा से आने वाले खतरे से निपटना था और हमने ऐसा किया. इसलिए गाजा में आज हमारे पास ऐसी स्थिति है, जिसमें सबसे ज्यादा खतरा मिसाइल कारखानों, भंडारों से है, जिनसे निपटा जा चुका है. हमास की सेना पराजित हो चुकी है. वे अभी भी हमारे बलों पर छिटपुट आतंकवादी हमले करते हैं.’