महाराष्ट्र में बैलेट बॉक्स खुलते हुए शुरुआती रुझानों के साथ महायुति गठबंधन लगातार बढ़त की ओर है. अब तक के आए रुझानों से ये तय माना जा रहा अब महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बनेगी. ये परिणाम अप्रत्याशित है. महाराष्ट्र की राजनीति को बेहतर ढंग से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष अवस्थी का मानना है कि इस चुनाव परिणाम के बाद वहां पर सबसे बड़ा परिवर्तन अब ये होने जा रहा है कि जो शिंदे और देवेन्द्र फडणवीस का जो राजनीतिक संघर्ष चल रहा था, शिंदे की कोशिश हमेशा थी कि अमित शाह के पास बैठें, उनके साथ डील करते रहें कि हम फिर से मुख्यमंत्री बन जाएंगे.
लेकिन, रुझानों में जो परिणाम दिख रहे हैं, उससे ऐसा लगता है कि एकनाथ शिंदे ही नहीं कहेंगे कि उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठना है. दूसरा फैक्टर ये भी है कि जिस तरह का बीजेपी का महाराष्ट्र में जनादेश मिलने जा रहा है, ऐसे में अगर शिंदे वाली शिवसेना को किनारे कर भी दिया जाए, तब भी बीजेपी सरकार बनाने की स्थिति में होगी. ऐसे में ये चुनाव परिणाम शिंदे का राजनीतिक गमन कहा जा सकता है.
हालांकि, ये जरूर संभावना है कि एकनाथ शिंदे को राज्य कैबिनेट में जगह मिल जाए, उन्हें कोई मुख्यमंत्री पद दे दिया जाए. लेकिन इस बात की संभावना बेहद कम है कि शिंदे को अब दोबारा महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष अवस्थी का आगे कहना है कि वैसे भी जब एकनाथ शिंदे जब उद्धव ठाकरे को छोड़कर आए थे, उस वक्त ही उन्होंने ये तय कर लिया था कि उनको उद्धव की सरकार गिरानी थी, और वो गिर गई. एकनाथ शिंदे को तो मुख्यमंत्री बनना ही नहीं था.
लेकिन, एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर अमित शाह ने बैठाया था. अमित शाह नहीं चाहते थे कि भारतीय जनता पार्टी में दूसरी लाइन रहे. आप देखिए कि बीजेपी ने शाह ने दूसरी लाइन खत्म करते चले गए, वो चाहे बात मध्य प्रदेश की हो, जहां पर शिवराज चौहान को किनारे कर दिया. राजस्थान में वसुंधरा को किनारे कर दिया.
सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही योगी आदित्यनाथ को किनारे नहीं लगाया जा सका है. ऐसे में इस समय ये व्यंग्यात्मक तरीके से कहा जाए तो महाराष्ट्र में जिस तरह से बीजेपी को सीटें मिलती दिख रही है, ऐसे में इस समय अमित शाह के मन में क्या चल रहा होगा कि देवेन्द्र फडणवीस को सीएम बनने दें या फिर कोई और बने, ये एक बड़ा सवाल है.
अभिलाष अवस्थी का आगे कहना है कि कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि जिस तरह का जनादेश महायुति को महाराष्ट्र के अंदर मिलने जा रहा है, उसमें एकनाथ शिंदे अब दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे. थोड़े समय के लिए उनका राजयोग लिखा हुआ था. वो राजयोग उनका चल गया. हालांकि, राजनीति में तो कुछ भी नहीं कहा जा सकता है कि आगे क्या होने वाला है, लेकिन ऐसा लगता है कि एकनाथ शिंदे के दूर-दूर तक मुख्यमंत्री बनने की कोई भी संभावना नहीं है.