महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, हालांकि अभी तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है. लेकिन चुनाव से पहले सूबे में सियासी हलचल बढ़ गई है. सियासत के गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. ऐसे में सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या महायुति गठबंधन में सब ठीक नहीं चल रहा है. इसकी शुरुआत महायुति सरकार द्वारा महिलाओं के लिए शुरू की गई “लाडकी बहिण योजना” के क्रेडिट वॉर से हुई.
दरअसल, सीएम एकनाथ शिंदे ने रक्षाबंधन से पहले महिला लाभार्थियों के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर इस योजना की शुरुआत की थी, जबकि डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री अजित पवार ने योजनाओं के प्रचार के लिए ‘जन सम्मान यात्रा’ की शुरुआत की. हालांकि उनकी पार्टी एनसीपी ने लाडकी बहिण योजना के लिए मुख्यमंत्री का नाम नहीं लिया, जिससे विवाद खड़ा हो गया.
दूसरी ओर एकनाथ शिंदे के शिवसेना गुट के वरिष्ठ नेता रामदास कदम ने मुंबई-गोवा हाईवे परियोजना के लंबित कार्यों को लेकर पीडब्ल्यूडी मंत्री और भाजपा नेता रवींद्र चव्हाण के इस्तीफे की मांग की, जिससे डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस नाराज हो गए, फडणवीस ने सीएम एकनाथ शिंदे से इस टिप्पणी पर गंभीरता से विचार करने और उनसे इस मुद्दे में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया.
नितेश राणे ने उठाए सवाल
वहीं, छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने का मामला भी गरमाया हुआ है. इसी बीच एनसीपी (एसपी) के एमएलसी अमोल मिटकरी ने मूर्तिकार जयदीप आप्टे पर बड़े आरोप लगाए. अजित गुट ने मराठा सम्राट की प्रतिमा ढहने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के खिलाफ मौन विरोध भी जताया. प्रतिक्रिया में भाजपा विधायक नितेश राणे ने MLC अमोल मिटकरी के धर्म को लेकर सवाल उठाए और कहा कि अब यह जांचने का समय आ गया है कि वह हिंदू हैं या नहीं?
शिंदे गुट के मंत्री की अजित गुट पर टिप्पणी
अब शिंदे गुट के स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत ने चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि कैबिनेट की बैठक में अजित गुट के मंत्रियों के साथ बैठने पर उन्हें उल्टी आने लगती है, इस पर फिर से वाकयुद्ध छिड़ गया और एनसीपी (एसपी) गुट के नेताओं ने जोरदार पलटवार किया. एनसीपी (एसपी) प्रवक्ता उमेश पाटिल ने महायुति गठबंधन से अलग होने की चेतावनी दी, क्योंकि शिवसेना के मंत्री अपने सहयोगियों को बदनाम कर रहे हैं.