ओडिशा के बालासोर में 9 वर्षीय आदिवासी लड़की की बलात्कार के बाद हत्या की खौफनाक वारदात सामने आई है. इस मामले में पुलिस ने 46 वर्षीय एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. आरोपी के खिलाफ बीएनएस की धारा 103, 165, 4(2) और पोक्सो एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है. आरोपी को स्थानीय अदालत ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा है.
रेमुना पुलिस प्रभारी हसीना कुलु के अनुसार, पीड़ित लड़की 27 अगस्त को अपने घर से लापता हो गई थी. 30 अगस्त को एक खाली पड़े घर में उसका सड़ा-गला शव मिला था. इसके बाद पुलिस ने केस दर्ज करके मामले की जांच शुरू की थी. इस दौरान पता चला कि पीड़िता के पिता के एक दोस्त रबी सिंह ने इस वारदात को अंजाम दिया है. इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
वारदात वाले दिन पीड़िता के घर सोया था आरोपी
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि वारदात वाले दिन आरोपी पीड़िता के घर पर सोया था. अगली सुबह आरोपी लड़की को नाश्ता कराने के लिए ले गया. वहां उसे लेकर एक खाली पड़े घर में चला गया. यहीं पर उसने अपराध को अंजाम दिया. इसके बाद में उसने उसके सिर को कुचलने के लिए कंक्रीट के स्लैब का इस्तेमाल किया. इस वारदात ने पूरे सूबे को झकझोर दिया था
बीजद अध्यक्ष और विपक्ष के नेता नवीन पटनायक ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया. उन्होंने अपराधों से निपटने में मौजूदा सरकार के तरीके की तीखी आलोचना की है. उन्होंने कहा, “इस मामले सहित सभी बड़े अपराधों की जानकारी मुख्यमंत्री को दी जानी चाहिए, जो गृह मंत्री भी हैं. यह एक गंभीर मामला है. ऐसा केस मेरी सरकार के कार्यकाल में कभी नहीं हुआ था.”
ओडिशा में हर दिन सात महिलाओं से बलात्कार
ओडिशा विधानसभा में पेश किए गए श्वेत पत्र के अनुसार, सूबे में साल 2023 के दौरान प्रतिदिन कम से कम सात बलात्कार और तीन हत्या के केस दर्ज किए गए हैं. गृह विभाग द्वारा विधानसभा के सदस्यों के बीच प्रसारित पत्र में कहा गया है कि पूर्वी राज्य में साल 2023 में 2 हजार 826 बलात्कार के मामले और 1 हजार 362 हत्या के मामले सामने आए थे.
श्वेत पत्र में यह भी कहा गया है कि भुवनेश्वर में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध शाखा (सीएडब्ल्यू और सीडब्ल्यू) काम कर रही है. इसके अलावा, राज्य सरकार ने 619 पुलिस स्टेशनों पर महिला और बच्चों के डेस्क स्थापित किए हैं. साल 2023 में ओडिशा पुलिस ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट के तहत 1 हजार 868 मामले दर्ज किए थे.