प्रियंका गांधी और सिमी रोजाबेल


कांग्रेस-नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट आज सोमवार को सचिवालय के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहा है. UDF का आरोप है कि वामपंथी सरकार जस्टिस के. हेमा समिति की रिपोर्ट में कथित तौर पर नामजद अपराधियों की बचा रही है. विपक्ष राज्य सरकार पर महिलाओं के शोषण और दुरुपयोग को उजागर करने वाली हाल ही में जारी जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट में पीड़ितों के खुलासों की अनदेखी करने का आरोप लगाता रहा है. विधानसभा में विपक्ष के नेता, वी. डी. सतीशन इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं.पर कांग्रेस नेताओं का हिप्पोक्रेसी तो देखिए , जिस नेता पर पार्टी की ही एक महिला नेता ने आरोप लगाया वही विरोध प्रदर्शन का अगुवा है. और जिस नेत्री ने आरोप लगाया उसे पार्टी ने बिना जांच किए ही बाहर का रास्ता दिखा  दिया. जब कि पार्टी लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा लगाती है.

1- महिला नेता के आरोपों को जांचे बगैर आरोपियों को क्लीन चिट क्यों दिया?

केरल कांग्रेस की नेता ने पार्टी में कास्टिंग काउच की बात क्या कर दी उसकी राजनीति ही खत्म करने का फरमान जारी हो गया. कांग्रेस की केरल इकाई ने रविवार को अपनी वरिष्ठ नेता सिमी रोजबेल जॉन को पार्टी की प्राथमिक सदस्‍यता से निष्कासित कर दिया. महिला नेता ने केवल इतना ही कहा था मलयाली फिल्म इंडस्ट्री में ही नहीं महिलाओं को आगे बढ़ने की कीमत कांग्रेस में भी चुकानी पड़ती है. पार्टी में भी महिलाओं को ऐसे ही शोषण से गुजरना पड़ता है. कायदे से होना ये चाहिए था कि सिमी रोजबेल को संरक्षण मिलता और उनके आरोपों की जांच की जाती, पर ये नहीं हुआ. 

एर्नाकुलम की कांग्रेस नेता सिमी रोज़बेल ने शनिवार को दावा किया कि पार्टी के भीतर महिलाओं को शोषण का सामना करना पड़ा है. रोज़बेल कहती हैं कि पार्टी के भीतर अवसर हासिल करने के लिए महिला सदस्यों को अक्सर शोषण सहना पड़ता है. रोज़बेल ने वीडी सतीशन सहित कई कांग्रेस नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए, जिसमें कहा गया कि केवल पुरुष नेताओं को ‘खुश’ करके ही महिलाएं महत्वपूर्ण पदों पर पहुंच सकती हैं. इसका परिणाम यह होता है कि अक्सर प्रतिभा और अनुभव को दरकिनार कर दिया जाता है.

2- क्या प्रियंका गांधी पीड़ित महिला नेता के साथ खड़ा होंगी?

केरल में मलयाली फिल्म इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच की बात पर बवाल मचा हुआ है. हेमा कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद अब तक 17 अभिनेत्रियों ने पुलिस में कास्टिंग काउच की शिकायत दर्ज करवाई है. पर बात फिल्म इंडस्ट्री तक ही नहीं है. केरल के राजनीतिक दल भी अपने हमाम में नंगे हैं. कम से कम केरल कांग्रेस की एक नेता की जुबान को जिस तरह से पार्टी ने बंद करने का प्रयास किया है उससे तो यही लगता है. सिर्फ एक बयान के चलते पार्टी एक वरिष्ठ नेता को प्राथमिकता सदस्यता से वंचित कर देना बताता है कि पार्टी को डर है कि कई नेताओं का राज खुल सकता है. आवाज को अगर दबाया नहीं गया तो पार्टी के अंदर से ऐसी आवाजों की बाढ़ आ सकती है. उम्मीद है कि लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा देने वाली पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी भी अपनी पार्टी के इस घटनाक्रम से परिचित होंगी. कुछ दिनों बाद उन्हें इसी राज्य से लोकसभा पहुंचने के लिए संघर्ष करना है. उम्मीद की जानी चाहिए प्रियंका अपनी पार्टी की इस महिला नेता के पक्ष में खड़ा होने का साहस दिखाएंगी.

3- केरल में जब चुनाव लड़ने जाएंगी प्रियंका गांधी तो सामने होगा धर्मसंकट

रायबरेली से चुनाव जीतने के बाद राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट छोड़ चुके हैं. उसके बाद कांग्रेस पार्टी की ओर से बयान आया कि अब वायनाड सीट पर प्रियंका गांधी चुनाव लड़ेंगी. वायनाड में भयानक प्राकृतिक विपदा आने पर प्रियंका गांधी और राहुल गांधी साथ-साथ पीड़ितों का हाल लेने पहुंचे थे. इससे यह और स्पष्ट हो गया था कि भविष्य में प्रियंका इस सीट से उम्मीदवार हो सकती हैं. हालांकि, उत्तर प्रदेश का प्रभारी होने के दौरान प्रियंका को खास कामयाबी नहीं मिली थी. चाहे 2019 का लोकसभा चुनाव हो या 2022 का विधानसभा चुनाव. लेकिन विधानसभा चुनाव में उन्‍होंने जिस तरह महिलाओं को फोकस में रखते हुए अपना कैंपेन चलाया था वो बहुत मायने रखता है. इसी चुनाव में उन्‍होंने ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ का नारा दिया. और 40 फीसदी टिकट महिलाओं को दिये. जिनमें से कई उम्‍मीदवार ऐसी थीं, जो किसी न किसी तरह के उत्‍पीड़न की शिकार हुई थीं. प्रियंका उस चुनाव के बाद पीडित महिलाओं की आवाज बनकर उभरीं. लेकिन, अब जबकि केरल में उन्‍हीं की पार्टी की एक नेता ने अपने नेताओं पर यौन उत्‍पीड़न के आरोप लगाए हैं तो प्रियंका कैसे मौन रह सकती हैं? जब वे केरल में चुनाव लड़ने आएंगी तो उनसे यह पूछा जाएगा कि उस महिला नेता को किस बात की सजा मिली? उम्मीद की जानी चाहिए कि केरल कांग्रेस की महिलाओं के शोषण और उत्पीड़न की आवाज प्रियंका तक जरूर पहुंच रही होगी. क्या प्रियंका अपनी पार्टी के एक महिला नेता के पक्ष में खड़े होने का साहस दिखाएंगी?

4- केरल से ही कांग्रेस के सबसे अधिक सांसद चुनकर आते हैं 

लोकसभा चुनावों में सबसे अधिक चुनावी सफलता कांग्रेस को अगर किसी राज्‍य मिली है तो वो केरल ही है. कांग्रेस नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने केरल में 20 में से 18 सीटें जीतने में सफलता पाईं थीं. जिसमें अकेले कांग्रेस के हिस्से में 14 सीटें आईं. इस तरह केरल में कांग्रेस बहुत मजबूत स्थिति में है. 2019 में राहुल गांधी को जब अमेठी से हारे थे, तब भी वायनाड में उन्हें बड़ी विजय मिली थी. गांधी परिवार और कांग्रेस के लिए पूरे देश में ऐसी कोई सुरक्षित सीट नहीं है जहां से भारी बहुमत के साथ जीत की गारंटी हो. शायद यही कारण है कि प्रियंका को भी लोकसभा में पहुंचाने के लिए कांग्रेस केरल का ही सहारा ले रही है. जाहिर है कि केरल कांग्रेस को अपने ऊपर लगने वाले इस दाग को धोने का प्रयास करना होगा. नहीं तो कांग्रेस का यह मजबूत किला कब दरक जाएगा, पता नहीं चल सकेगा. भारतीय जनता पार्टी ने पिछले लोकसभा चुनावों में यहां एक सीट जीतकर अपना श्रीगणेश कर दिया है. भविष्य में बीजीपी उन्हीं वोटों पर डाका डालने वाली है जो वोट यहां कांग्रेस को मिला करते हैं. दरअसल केरल में कांग्रेस को हिंदुओं का वोट थोक के भाव में मिलता रहा है. लोकसभा चुनावों के दौरान एलडीएफ लगातार राहुल गांधी को इसी बात को लेकर निशाना बना रहा था कि कांग्रेस ने सीएए का विरोध नहीं किया. खैर, यदि कांग्रेस की महिला नेता अपनी पार्टी के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाती हैं, तो पार्टी उसे नजरअंदाज करके महिला वोटरों की भी अनदेखी कर रही है. ये रिस्‍क उसे कितना भारी पड़ेगा, यह तो आने वाला वक्‍त ही बताएगा.

5- कांग्रेस ही नहीं, कई पार्टियों में है ‘कास्टिंग काउच’ की दलदल

जिन लोगों ने सामाजिक कार्यकर्ता, नेता, लेखिका रमणिका गुप्ता की आत्मकथा पढी होगी उन्हें पता होगा कि कांग्रेस में महिलाओं के साथ क्या सुलूक होता रहा है. रमणिका ने अपनी किताब आपहुदरी में सनसनीखेज खुलासे किए हैं. रमणिका ने इस किताब में लिखती है कि एक गृहमंत्री जो बाद में राष्ट्रपति बनते हैं वो उन्हें किसी काम से अपने आवास पर बुलाते हैं. जब वो उनसे मिलने जाती हैं उन्हें एक कमरे में बैठने को कहा जाता है. उनसे बताया जाता है कि मंत्री जी अभी बाथ ले रहे हैं. थोड़ी देर बाद मंत्रीजी बिना कपड़ों के उनके आगे प्रकट हो जाते हैं और उन्हें अपनी बाहों में भर में लेते हैं. उन्होंने बिहार के एक मंत्री और मुख्यमंत्री के किस्से भी बताएं हैं. किस तरह दिल्ली में किसी मीटिंग का हवाला देकर एक मंत्री उन्हें बेवजह दिल्ली ले जाते हैं ताकि उनका यौन शोषण कर सकें. ऐसे ही कई किस्‍से दीगर पार्टी के नेताओं के बारे में भी सुनने को मिलते हैं. यह किसी से छुपा नहीं है कि राजनीति में महिलाओं के आगे बढ़ने की राह आसान नहीं है. केरल कांग्रेस से बर्खास्‍त की गई सिमी रोजबेल तो साफ-साफ कहती हैं कि महिलाएं किसी पुरुष नेता से अकेले मिलने न जाएं. वे अपने किसी रिश्‍तेदार या दोस्‍त को जरूर साथ ले जाएं.

उम्‍मीद की जाना चाहिए कि सिमी के खुलासे के बाद कोई राजनीति में महिलाओं के उत्‍पीड़न को लेकर भी एक कमेटी बने. लेकिन, फिर सवाल वही उठता है कि कमेटी तो सरकार ही बनाएगी, और सरकार चलाने वाले प्राय: पुरुष ही हैं.



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