Suhas Yathiraj


भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास एल यथिराज को पेरिस पैरालंपिक में सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा. 2 सितंबर (सोमवार) को उन्हें बैडमिंटन के पुरुष सिंगल्स एसएल4 फाइनल में फ्रांस के लुकास माजुर के हाथों 9-21, 13-21 से हार गए. 41 साल के सुहास को टोक्यो पैरालंपिक में भी में माजुर के खिलाफ हार के चलते रजत पदक से संतोष करना पड़ा था.

कौन हैं सुहास एलवाई? 

सुहास एल यथिराज उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. फिलहाल वह उत्तर प्रदेश सरकार के युवा कल्याण और प्रांतीय रक्षक दल के सचिव और महानिदेशक के रूप में कार्यरत हैं. सुहास गौतम बुद्ध नगर और प्रयागराज के भी डीएम रह चुके हैं. कर्नाटक के शिगोमा में जन्मे सुहास एलवाई ने अपनी तकदीर को अपने हाथों से लिखा है. जन्म से ही दिव्यांग (पैर में दिक्कत) सुहास शुरुआत से IAS नहीं बनना चाहते थे. वो बचपन से ही खेल के प्रति काफी दिलचस्पी रखते थे.

इसके लिए उन्हें पिता और परिवार का भरपूर सपोर्ट मिला. पैर पूरी तरह फिट नहीं था, ऐसे में समाज के ताने उन्हें सुनने को मिलते, पर पिता और परिवार चट्टान की तरह उन तानों के सामने खड़े रहा और कभी भी सुहास का हौंसला नहीं टूटने दिया. सुहास के पिता उन्हें सामान्य बच्चों की तरह देखते थे. सुहास का क्रिकेट प्रेम उनके पिता की ही देन है. परिवार ने उन्हें कभी नहीं रोका, जो मर्जी हुई सुहास ने उस गेम को खेला और पिता ने भी उनसे हमेशा जीत की उम्मीद की. पिता की नौकरी ट्रांसफर वाली थी, ऐसे में सुहास की पढ़ाई शहर-शहर घूमकर होती रही.
 
सुहास की शुरुआती पढ़ाई गांव में हुई तो वहीं सुरतकर शहर से उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से कम्प्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग पूरी की. साल 2005 में पिता की मृत्यु के बाद सुहास टूट गए थे. सुहास ने बताया कि उनके जीवन में पिता का महत्वपूर्ण स्थान था, पिता की कमी खलती रही. उनका जाना सुहास के लिए बड़ा झटका था. इसी बीच सुहास ने ठान लिया कि अब उन्हें सिविल सर्विस ज्वाइन करनी है. फिर क्या था सब छोड़छाड़ कर उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की.

ऐसे शुरू हुआ बैडमिंटन का सफर

जिस खेल को वो पहले शौक के तौर पर खेलते अब धीरे-धीरे उनके लिए जरूरत बन गया था. सुहास अपने दफ्तर की थकान को मिटाने के लिए बैंडमिंटन खेलते थे, लेकिन जब कुछ प्रतियोगिताओं में मेडल आने लगे तो फिर उन्होंने इस प्रोफेशनल तरीके से खेलना शुरू किया. 2016 में उन्होंने इंटरनेशनल मैच खेलना शुरू किया. चाइना में खेले गए बैंडमिंटन टूर्नामेंट में सुहास अपना पहला मैच हार गए, लेकिन इस हार के साथ ही उन्हें जीत का फॉर्मूला भी मिल गया और उसके बाद ये सफर अभी तक लगातार जारी है.



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