भोजताल जिसे बड़ा तालाब या बड़ी झील के नाम से भी जाना जाता है मध्य-प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल के बिल्कुल मध्य में है। इस झील का निर्माण परमार राजा भोज द्वारा 11वी सदी में करवाया गया था। इस तालाब के मध्य में राजा भोज की एक प्रतिमा स्थापित है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है इस प्रतिमा में उनके हाथ में एक तलवार सुशोभित हो रही है। बड़ी झील भोपाल की सबसे महत्वपूर्ण झील है जिसे आमतौर पर भोजताल के नाम से जाना जाता है इसी तालाब से भोपाल के निवासियों के लिए 40% पीने के पानी की पूर्ती की जाती है।

भोपाल नगरी को “झीलों की नगरी” के नाम से भी जाना जाता है। यहा बहुत सारी बड़ी और छोटी झीले है लेकिन इनमे सबसे खास बड़ी झील या बड़ा तालाब है जिसे भोजताल के नाम से भी जाना जाता है। बड़ा तालाब एशिया की सबसे बड़ी कृतिम झील भी है। इसके पूर्वी छोर पर भोपाल नगरी बसी हुयी है जबकि दक्षिण में वन विहार राष्ट्रीय उद्यान है। बड़े तालाब के पास एक छोटा तालाब भी है और यह दोनों तालाब मिलकर एक वेटलैंड (आद्र्भूमि) का गठन करते है जिसे अब रामसर स्थल के नाम से जाना जाता है।

चूंकि कृषि भोपाल के लोगों के लिए आजीविका का मुख्य स्रोत है, इसलिए झील सिंचाई के लिए पानी का प्राथमिक स्रोत है। झील के पूर्वी किनारे पर, बोट क्लब की स्थापना पर्यटकों के लिए कुछ पानी के खेल जैसे कि पैरासेलिंग, कैनोइंग, राफ्टिंग, कयाकिंग आदि के लिए की गई है, इसके आसपास के क्षेत्र में कमला पार्क स्थित है। भोपाल की ठंडी हवा के साथ बोट क्लब सूर्यास्त के लिए एक बहुत ही सुंदर जगह है।

बड़े तालाब का इतिहास

स्थानीय लोककथाओं के अनुसार बड़े तालाब का निर्माण परमार राजा भोज ने करवाया था। यह भी कहा जाता है कि परमार राजा ने भोपाल नगरी की स्थापना की थी जिसे उन्ही के नाम पर भोजपाल नाम दिया गया था और बाद में यही भोजपाल नगरी भारत के मध्य-प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल के नाम से जगजाहिर हुयी। राजा भोज परमार वंश  के एक भारतीय राजा थे। उनका सम्पूर्ण राज्य मध्य भारत में मालवा क्षेत्र के आस पास फैला हुआ था और उनके राज्य की राजधानी धार-नगरी (वर्तमान में धार) थी। राजा भोज ने अपने राज्य के विस्तार के लिए कई युद्ध लड़े है। उनका राज्य उत्तर में चित्तौड़ से लेकर दक्षिण में ऊपरी कोंकण तक फैला हुआ था, जबकि पश्चिम में साबरमती नदी से लेकर पूर्व में विदिशा तक फैला हुआ था। राजा भोज के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने बड़ी संख्या में शिव मंदिरों का निर्माण करवाया था हालांकि भोजपुर में भोजेश्वर मंदिर उनके द्वारा स्थापित एक एकमात्र जीवित मंदिर है।

एक प्रचलित कथा के अनुसार यह पता चलता है कि राजा परमार ने बड़ी झील या भोजताल का निर्माण क्यों करवाया था। राजा भोज एक बार चर्म रोग से पीड़ित हो गए थे और अच्छे वैद्यो से इलाज कराने के वावजूद भी उन्हें आराम नही मिला। तब एक संत ने राजा को 365 नदियों को मिलाने वाले एक कुण्ड का निर्माण करके उसमे स्नान करने की सलाह दी। राजा ने उस संत के परामर्श अनुसार ऐसा करने का निर्णय किया और अपने राज्य कर्मचारियों को ऐसा स्थान ढूँढने का आदेश दे दिया जहाँ 365 सहायक नदियों का जल एकत्रित हो सके। राजन के आदेशानुसार राज्य कर्मचारियो ने बेतवा नदी के मुहाने पर एक ऐसा स्थान खोज निकाला लेकिन राज्य कर्मचारी यह देखकर उदास हो गए की इस स्थान पर केवल 359 सहायक नदियों का जल है।

इस समस्या का निवारण कालिया नाम के एक गोंड मुखिया ने एक गुप्त नदी के बारे में बता कर किया जिसकी सहायक नदी के मिलने से 365 सहायक नदियों की संख्या पूरी हो गयी। बाद में उसी गोंड के नाम पर उस नदी का नाम ‘कलियासोत’ रखा गया जो आज भी प्रचलित है। लेकिन बेतवा नदी का पानी इस बांध (डैम) को भरने के लिए पर्याप्त नही था। इसलिए 32 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम में प्रवाहित एक अन्य नदी का पानी वेतबा नदी की तरफ मोड़ने के लिए एक बांध (डैम) बनाया गया था। यह बांध भोपाल के नजदीक भोजपुर में बनबाया गया था।

बड़ा तालाब की संरचना

भोजताल या बड़ा तालाब या बड़ी झील, भोपाल शहर के पश्चिम मध्य भाग में स्थित है। इसके दक्षिण में वन विहार राष्ट्रीय उद्यान स्थापित है और उत्तर में काफी तादाद में मानव द्वारा वस्तियो का निर्माण हो गया है। जबकि पश्चिम में यहा के निवासियों के द्वारा कृषि के लिए इस भूमि का उपयोग किया जा रहा है। इस झील की लम्बाई 31.5 किलोमीटर जबकि चौड़ाई 5 किलोमीटर है। इसका सम्पूर्ण सतही भाग (सरफेस एरिया) 31 वर्ग किलोमीटर है। बड़ी झील को जब ऊँचाई या मैप (मानचित्र) से देखा जाता है तो इसकी आकृति बिल्कुल छिपकली की भाती प्रतीत होती है।

भोज ताल भोपाल एंट्री फीस

यदि आप बड़ा तालाब घूमने जा रहे है तो बता दे कि यहा जाने के लिए कोई एंट्री फीस नही लगती है। लेकिन अन्य सुविदाए जैसे पैडल बोट, क्रूज बोट, मोटर बोट का आनंद लेने के लिए आपको कीमत चुकानी होगी।

  • पैडल बोट – प्रति व्यक्ति 80 रूपये
  • क्रूज बोट  – प्रति व्यक्ति 100 रूपये
  • मोटर बोट – प्रति व्यक्ति 240 रुपये

बड़ी झील घूमने का सबसे अच्छा समय

बड़ा तालाब या बड़ी झील घूमने के लिए सप्ताह के सातों दिन सुबह 6 बजे से शाम के 7 बजे तक इस स्थान पर घूमने का आनंद ले सकते है।

बड़ा तालाब में पाए जाने वाले जीव जंतु

छोटी झील और बड़ी झील दोनों मिलकर वनस्पतियों और जीवों का समर्थन करती हैं। यहा सफ़ेद सारस, ब्लैकनेक स्टोर्क, बार्हेडेड गोज़, स्पूनबिल इत्यादि जलजीव देखने को मिल जाएंगे। जबकि पिछले कुछ समय से इस झील में 100-120 सार्स क्रेन के जमाव की एक घटना देखने को मिली है। यहा समय और मौसम के अनुसार अलग- अलग प्रवासी पक्षियों का झुण्ड भी देखने को मिलता है।

बड़ी झील में फ्लोरा-

मैक्रोफाइट्स की 106 प्रजातियां 46 परिवारों की 87 जातियों से संबंधित है। जिसमे 14 दुर्लभ प्रजातियाँ और फाइटोप्लांकटन की 208 प्रजातियाँ शामिल हैं। जिसमें क्लोरोफिस की 106 प्रजातियाँ,  साइनो फीकी की 37 प्रजातियां, यूगलेनोफाइसी की 34 प्रजातियाँ, बेसिलियोरोफिसेस की 27 प्रजातियाँ, डाइनोफिसेस की 4 प्रजातियां शामिल हैं।

बड़ी झील में फौना-

ज़ोप्लांकटॉन की 105 प्रजातियाँ जिनमें रोटिफेरा 41, प्रोटोजोआ 10, क्लैडोकेरा 14, कोपोडा 5, ओस्ट्राकोडा 9, कोलॉप्टेरा 11 और डिप्टेरा 25 शामिल हैं। मछली की 43 प्रजातियाँ है जिनमे प्राकृतिक और कृतिम दोनों प्रकार की मछली हैं। यहा 27 प्रकार के पक्षी, 98 प्रकार के कीट और 10 से अधिक संख्या में सरीसृप और उभयचरों की प्रजातियाँ देखने को मिल जाती है। यहा कछुओं की 5 प्रजातियाँ भी इन्ही में शामिल है।

चेतावनी-

पिछले कुछ समय से मानवीय गतिविधियों के कारण झील सिकुड़ रही है और कुछ अन्य क्रियाकलापों की वजह से यह प्रदूषित होती जा रही है। अनजाने में या लापरवाही की वजह से यहा पानी में डूबने जैसे किस्से भी हो सकते है तो आप जब भी यहा घूमने जाए तो इस बात का विशेष ध्यान रखे और अपने साथ जाने वाले छोटे बच्चो पर नजर बनाए रखे।

वन विहार भोपाल

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान मध्य-प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक राष्ट्रीय उद्यान है। इसे सन 1979 में एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। यह लगभग 4.45 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।

झीलों के शहर, यानी भोपाल में स्थित, वन विहार को 1983 में राष्ट्रीय उद्यान की उपाधि दी गई थी। राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषणा के साथ, यह केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के दिशानिर्देशों के तहत एक जूलोजिकल स्पेस के रूप में काम करता है। यहां के जानवरों को उनके प्राकृतिक आवास के सबसे करीब रखा जाता है। इसके अलावा, इस जगह की सुंदरता के कोई शब्द नहीं है। यह उन लोगों के लिए एक स्वर्ग है जो रहस्यमय प्रकृति को पास से जानना चाहते हैं। वन्यजीव उत्साही तेंदुए, चीता, नीलगाय, पैंथर्स आदि को देख सकते हैं, जबकि पक्षी प्रेमी खुद को किंगफिशर, बुलबुल, वैगेटेल, फाटक और कई और प्रवासी पक्षियों के साथ इस जगह का आनद ले सकते हैं।

इंद्रा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्राहलय भोपाल

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल में एक मानव विज्ञान संग्रहालय है यह मध्य-प्रदेश की राजधानी में “श्यामला हिल्स” पर लगभग 200 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव रचना, राष्ट्रीय नृविज्ञान संग्रहालय, प्रमुख रूप से श्यामला हिल्स पर स्थित है, जो भोपाल की ऊपरी झील है। संग्रहालय मानव जाति की संस्कृति और विकास की एकीकृत कहानी प्रस्तुत करता है। इस संग्रहालय का मुख्य आकर्षण तथ्य यह है कि यह आदिवासी लोक, कला और संस्कृति के औपनिवेशिक प्रदर्शनों की सूची के साथ रॉक शेल्टर चित्रित करने वाला एकमात्र है। इसके अलावा, एक पार्क के रूप में, संग्रहालय में दृश्य-श्रव्य अभिलेखागार हैं और नृवंशविज्ञान नमूनों और कम्प्यूटरीकृत वृत्तचित्रों का एक व्यापक संग्रह है।

200 एकड़ के क्षेत्र में फैले, संग्रहालय में भारतीय आदिवासियों की विविधता और सांस्कृतिक पैटर्न को उजागर करने जैसे उद्देश्यों के साथ काम किया जाता है। इसके प्रागैतिहासिक सार के साथ, आदिवासियों द्वारा प्राचीन जीवन शैली और पौराणिक निशान दिखाने के लिए मानवशास्त्रीय स्थान बनाया गया है।

निचली झील भोपाल

निचली झील इसे छोटा तालाब के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत के मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल में एक झील है। “झीलों के शहर” के रूप में जाना जाता है, भोपाल में सुरम्य सुंदरता और संस्कृति का एक बड़ा संलयन है। इसकी दो सबसे सुंदर झीलें हैं, ऊपरी झील और निचली झील। निचली झील को छोटा तालाब के नाम से भी जाना जाता है। दो झीलों को लोवर लेक ब्रिज या पुल पुख्ता नामक एक ओवर-ब्रिज द्वारा अलग किया जाता है। शहर की सुंदरता को बढ़ाने के लिए 1794 में झील का निर्माण किया गया था। इसका निर्माण नवाब हयात मुहम्मद खान बहादुर के एक मंत्री कोट खान के तहत हुआ। ऊपरी झील और निचली झील दोनों मिलकर एक भोज वेटलैंड बनाती है।

भीमबेटका रॉक शेल्टर भोपाल

यह भारत के मध्य-प्रदेश राज्य के रायसेन जिले में भोपाल के दक्षिण-पूर्व में लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल है।

गोहर महल भोपाल

सन 1820 में कुदसिया बेगम ने इस महल का निर्माण करवाया था। उन्हें गोहर बेगम के नाम से भी जाना जाता है। यह महल हिन्दू और मुगल वास्तुकला की एक अधभुत अभिव्यक्ति प्रस्तुत करता है।

शौर्य स्मारक भोपाल

शौर्य स्मारक भोपाल में स्थित एक युद्ध स्मारक है, जिसका उद्घाटन 14 अक्टूबर 2016 को भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया है। शौर्य स्मारक मध्य प्रदेश की सरकार द्वारा भोपाल में अरेरा हिल्स के हृदय क्षेत्र में किया गया है। शौर्य स्मारक के पास ही नगर निगम और सचिवालय है। यह लगभग 12 एकड़ के बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है।

भारत भवन भोपाल

भारत भवन मध्य-प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित और वितपोषित किया गया है। इसमें एक आर्ट गैलरी, एक ललित कला कार्यशाला, एक स्टूडियो थियेटर, सभागार,  आदिवासी और लोक कला संग्रहालय, कविताओ के लिए के पुस्तकालय बनवाए गए है।

योद्धास्थल भोपाल

भोपाल में सेना संग्रहालय, “अपनी सेना को जानें” की सुविधा के लिए, योद्धास्थल, रक्षा बलों द्वारा उपयोग किए जाने वाले हथियारों और गोला-बारूद की प्रदर्शनी के लिए जाना जाता है। संग्रहालय भारतीय सेना की जीत और युद्ध की कहानियों के बारे में विस्तृत ज्ञान प्रदान करता है। भोपाल के युवाओं को समर्पित, योद्धास्थल आजादी के पहले और बाद में युद्ध के मैदान में इस्तेमाल की जाने वाली आर्टी गन, टैंक, हथियारों के प्रदर्शन के साथ रक्षा के बारे में ऑडियो-विजुअल अनुभव को समृद्ध करता है। युद्ध उपकरण अतीत में लड़े गए सभी युद्धों का शानदार इतिहास बताते हैं।

भोजपुर भोपाल

भोजपुर नगर भारत के मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल से 28 किमी दूर बेतवा नदी पर स्थित है। प्राचीन काल का यह नगर “उत्तर भारत का सोमनाथ’ कहा जाता है। गाँव से लगी हुई पहाड़ी पर एक विशाल शिव मंदिर है। इस नगर तथा उसके शिवलिंग की स्थापना धार के प्रसिद्ध परमार राजा भोज ने किया था। अतः इसे भोजपुर मंदिर या भोजेश्वर मंदिर भी कहा जाता है।

यह स्थान मध्य भारत के बलुआ पत्थर की चट्टानों पर स्थित है। इसके बगल में एक गहरी खाई है, यही से बेतवा नदी बहती है।

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