भारतीय डाक की कहानी


आज की कहानी भारतीय डाक व्यवस्था से जुड़ी है. भारतीय डाक प्रणाली का जो आधुनिक स्वरूप आज हम देख रहे हैं. वह हजारों सालों के लंबे सफर की देन है. अंग्रेजों ने 170  साल पहले अलग-अलग हिस्सों में अपने तरीके से चल रही डाक व्यवस्था का एकीकरण करने की पहल की. तब जाकर भारतीय डाक को एक नया रूप  दिया गया. लेकिन, अंग्रेजों की डाक प्रणाली सिर्फ उनके सामरिक और व्यापारिक हितों पर केंद्रित थी.

भारतीय डाक सेवा की स्थापना  1 अक्टूबर 1854 को मानी जाती है. तब तत्कालीन भारतीय वायसराय लॉर्ड डलहौजी ने इस सेवा का केंद्रीकरण किया था. उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी के अंतर्गत आने वाले 701 डाकघरों को मिलाकर भारतीय डाक विभाग की स्थापना हुई थी. 1 अक्टूबर 1854 में भारतीय डाक विभाग की स्थापना के साथ ही भारत में पहली बार डाक टिकट भी जारी किया गया. इस दिन महारानी विक्टोरिया के नाम पर पहला डाक टिकट जारी किया गया था. बाद में भारत की आजादी के बाद हमारी डाक प्रणाली को आम आदमी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए  विकसित किया गया.

भारतीय डाक का इतिहास
भारतीय डाक का इतिहास वैसे तो काफी पुराना है. देखा जाए तो जब  मुगलों के भारत में आने से पहले दिल्ली के सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक ने केवल चार वर्षों 1206-1210 के शासन में एक संदेशवाहक डाक प्रणाली बनाई. बाद में इसी प्रणाली को 1296 में अलाउद्दीन खिलजी ने डाक चौकियों, एक घोड़ा और पैदल धावक सेवा में विस्तारित किया था. 

समय-समय पर बदलता रहा संदेश भेजने का तरीका
शेर शाह सूरी (1541-1545) ने भी उत्तर भारतीय उच्च मार्ग पर संदेशों के परिवहन के लिए धावकों की जगह घोड़ों का इस्तेमाल शुरू किया, जिसे आज ग्रैंड ट्रंक रोड के रूप में जाना जाता है, जिसे उन्होंने हिमालय के आधार पर एक प्राचीन व्यापार मार्ग, उत्तरापथ पर बंगाल और सिंध के बीच बनाया था. उन्होंने 1700 ‘सरायों’ का भी निर्माण किया. जहां शाही डाक के प्रेषण के लिए हमेशा दो घोड़े रखे जाते थे. बाद में अकबर ने घोड़ों और धावकों के अलावा ऊंटों की शुरुआत की. वहीं दक्षिण भारत में 1672 में मैसूर के राजा चुक देव ने एक कुशल डाक सेवा शुरू की. जिसे हैदर अली ने और बेहतर बनाया. 

फिर आया अंग्रेजों का दौर…
मुगलों और अन्य सल्तनतों को बाद भारत में जैसे-जैसे पुर्तगाली, डच, फ्रांसीसी, डेनिश और ब्रिटिश उपनिवेशवादियों ने भारत में सत्ता हासिल की, उनकी डाक प्रणाली स्वतंत्र राज्यों के साथ-साथ अस्तित्व में आई. इस वजह से भारतीय डाक प्रणाली का इतिहास भारत के जटिल राजनीतिक इतिहास से बहुत करीब से जुड़ा हुआ है. भारत में पहली बार ईस्ट इंडिया कंपनी ने 31 मार्च 1774 को कलकत्ता में  डाकघर की स्थापित किया था.एकिया जाता था.

इसके कई वर्षों बाद अंग्रेजों ने भारतीय रियासतों की अलग डाक व्यवस्थाओं को जोड़कर एक प्रणाली बनाई. इसके तहत 650 से ज्यादा रजवाड़ों की डाक प्रणालियों, जिला डाक प्रणाली और जमींदारी डाक व्यवस्था को प्रमुख ब्रिटिश डाक व्यवस्था में शामिल किया गया था. इन टुकड़ों को बेहद खूबसूरती से जोड़ा गया.

व्यापारिक हितों के लिए अंग्रेजों ने शुरू की डाक सेवा
देखा जाए तो 1766 में लार्ड क्लाइव ने देश में पहली डाक व्यवस्था स्थापित की थी. इसके बाद 1774 में वारेन हेस्टिंग्स ने इस व्यवस्था को और मजबूत किया. उन्होंने एक महा डाकपाल के अधीन कलकत्ता प्रधान डाकघर स्थापित किया.  मद्रास और बंबई प्रेसीडेंसी में क्रमशः 1786 और 1793 में डाक व्यवस्था शुरू की गई. फिर 1837 में डाक अधिनियम लागू किया गया, ताकि तीनों प्रेसीडेन्सी में सभी डाक संगठनों को आपस में मिलाकर देशस्तर पर एक अखिल भारतीय डाक सेवा बनाई जा सके. अभी तक यह सिर्फ व्यापारिक हितों के लिए काम कर रहा था.

ऐसे बना भारतीय डाक विभाग
फिर 1850 में भारत में डाकघर के कामकाज पर एक रिपोर्ट तैयार की गई. इस रिपोर्ट में केवल वजन के आधार पर एक समान डाक दरें शुरू की गईं. (पहले शुल्क वजन और दूरी के आधार पर निर्धारित किए जाते थे). इसके तहत सिफारिश की गई कि पोस्टमास्टरों को निर्देशों की एक पुस्तिका प्रदान की जानी चाहिए. इस रिपोर्ट की सिफारिशों आधार पर 1854 में भारतीय डाक अधिनियम बनाया गया. इस तरह से 1 अक्टूबर 1854 को पहली बार भारतीय डाक विभाग की स्थापना की गई. तब जाकर मौजूदा प्रशासनिक आधार पर भारतीय डाक घर को पूरी तरह सुधारा गया.

भारत में चिट्ठी पर डाक टिकट लगने की कहानी
भारत में सन 1852 में प्रथम बार चिट्ठी पर डाक टिकट लगाने की शुरुआत हुई. इसके बाद जिस दिन  आधिकारिक  तौर पर भारतीय डाक विभाग की स्थापना हुई. उसी दिन महारानी विक्टोरिया के चित्र वाला डाक टिकट 1 अक्टूबर सन 1854 को जारी किया गया.स्वतंत्रता से पहले के डाक टिकट ब्रिटिश केंद्रित हुआ करते थे. आजादी के बाद डाक टिकटों पर भारत की गाथा भी दर्ज होने लगी. 

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भारत में डाक टिकटों से जुड़ी कुछ और खास बातें
15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र भारत का पहला डाक टिकट जारी किया गया. इसमें सबसे ऊपर ‘जय हिंद’ लिखा था. इस टिकट पर तिरंगा झंडा बना था और भारत की आज़ादी की तारीख 15 अगस्त, 1947 लिखी थी. इस टिकट का दाम तीन आना था. इसके बाद भारतीय डाक के स्थापना दिवस के दिन 1 अक्टूबर, 1952 को जारी किए गए डाक टिकट पर मीरा बाई को दिखाया गया था. यह डाक टिकट भारतीय महिलाओं को दिखाने वाला पहला टिकट था. इस टिकट पर केवल हिन्दी में ‘मीरा’ छपा था.  भारत में अब तक का सबसे बड़ा डाक टिकट पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर 20 अगस्त सन 1991 को जारी किया गया था.

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आज की प्रमुख घटनाएं  
1 अक्टूबर, 1949 को चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के शासन की शुरुआत हुई और जनरल माओ-त्से-तुंग ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना की घोषणा की. 

1 अक्टूबर, 1847 को एनी बेसेंट का जन्म लंदन में हुआ था. एनी बेसेंट एक प्रसिद्ध समाजसेविका, लेखिका, और स्वतंत्रता सेनानी थीं.
 
1 अक्टूबर, 1919 को हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी का जन्म हुआ. 

1 अक्टूबर, 1924 को अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति जिमी कार्टन का जन्म हुआ. 

1 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस मनाया जाता है. 

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