ईरान और इजरायल एक बार फिर जंग के मैदान में आमने-सामने आ गए हैं. अप्रैल में ईरान ने इजरायल पर हमला किया था. अब एक बार फिर ईरान ने इजरायल पर 180 से ज्यादा मिसाइलें दागीं हैं. ईरान ने इजरायल पर ये मिसाइल अटैक मंगलवार रात को किया.
ईरान ने इसे हमास चीफ इस्माइल हानिया और हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत का बदला बताया है. वहीं, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का कहना है कि ईरान बहुत बड़ी गलती कर दी है और इसे इसका अंजाम भुगतना होगा.
गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ शुरू हुई इजरायल की ये जंग अब बढ़ती जा रही है. जिस तरह से ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ रहा है, उससे अब एक और बड़ी जंग का खतरा खड़ा हो गया है. इजरायल और ईरान के बीच ये संघर्ष कितना खतरनाक हो सकता है? समझते हैं.
कितने बिगड़ सकते हैं हालात?
अगर हालात बिगड़ते हैं तो दोनों मुल्कों के बीच जंग छिड़ सकती है. अप्रैल में ईरान ने इजरायल पर जो हमला किया था, उसकी तुलना में इस बार का मिसाइल अटैक कहीं ज्यादा ताकतवर था. इसका मकसद इजरायल के डिफेंस सिस्टम को टारगेट करना था.
मंगलवार को ईरान ने जिन मिसाइलों का इस्तेमाल किया, उनमें इमाद और गदर शामिल थीं. पहली बार हाइपरसोनिक मीडियम-रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल ‘फत्तह-2’ का भी इस्तेमाल किया गया. ऐसा करके ईरान ने अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की है.
इजरायली पीएम नेतन्याहू ने कहा, ईरान ने बड़ी गलती कर दी और उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी. उन्होंने ये भी कहा कि जो हम पर हमला करता है, हम उस पर हमला करते हैं.
इससे पहले, इजरायल ने सीरिया पर ईरान के अर्ली वॉर्निंग सिस्टम और डिफेंस सिस्टम को टारगेट करते हुए कम से कम पांच हवाई हमले किए थे.
अगर हालात बिगड़ते हैं तो हो सकता है इजरायली सेना इराक और सीरिया के एयरस्पेस के जरिए ईरान पर हमला कर सकती है. इससे भी बुरा ये हो सकता है कि इजरायल सीधे ईरान में घुसकर हमला कर दे. जवाब में ईरान अपनी फत्तह मिसाइलों का इस्तेमाल कर सकता है. अगर ऐसा होता है तो इससे नई जंग शुरू हो जाएगी. और पहले से ही नाजुक चल रही वैश्विक अर्थव्यवस्था और चौपट हो सकती है.
और क्या बुरा हो सकता है?
ईरान के मिसाइल अटैक के बावजूद, इजरायल ने गाजा और लेबनान में अपने हमले जारी रखे. फिलिस्तीन के मेडिकल अधिकारियों ने बताया कि रातभर हुए इजरायली हमलों में कम से कम 32 लोग मारे गए हैं. ईरान का कोई भी एक्शन गाजा और लेबनान में सीजफायर के प्रस्ताव को कमजोर कर सकता है.
इजरायल ने लेबनान में भी जमीनी हमला शुरू कर दिया है. अगर ईरान मिसाइल हमले करता है तो इससे नेतन्याहू पर गाजा और लेबनान में हमलों को कम करने या रोकने का दबाव भी नहीं पड़ेगा. इससे गाजा और लेबनान में मानवीय संकट और गहरा सकता है.
क्या कुछ ‘अच्छा’ भी हो सकता है?
युद्ध के कगार पर खड़ी दो ताकतों के बीच अभी भी उम्मीद की किरण है. इसे एक वाकये से समझते हैं. जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति थे, तब इराक में अमेरिकी सेना के बेस पर ईरान ने मिसाइल अटैक किया था. उस हमले में कई अमेरिकी सैनिक घायल हुए थे. तब ट्रंप ने कहा था ‘ये बहुत अच्छी बात है.’ ट्रंप ने ऐसा इसलिए कहा था, क्योंकि उस हमले में किसी भी अमेरिकी सैनिक की मौत नहीं हुई थी.
जबकि, उस समय इस हमले की वजह से अमेरिका और ईरान के बीच जबरदस्त तनाव हो सकता था. जवाबी कार्रवाई में अमेरिका भी ईरान पर हमला कर सकता था. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
इसी तरह, अभी ईरान ने जो हमला किया है, उससे इजरायल में कोई मौत नहीं हुई है. इस कारण दोनों के बीच शायद बहुत ज्यादा संघर्ष की स्थिति न बने. अगर ईरान कोई मिसाइल दागता भी है तो इजरायल का डिफेंस सिस्टम उसे रोक सकता है. ईरान के हमले से इस बात का संकेत भी मिलता है कि वो यथास्थिति को बनाए रखना चाहता है और कोई तनाव नहीं चाहता.
ईरान ने जहां हमले किए हैं, उनमें नेवातिम एयरबेस और तेल नोफ एयरबेस भी शामिल है. इन दोनों एयरबेस पर F-35 लड़ाकू विमान होते हैं. हालांकि, माना जा रहा है कि जिस वक्त ईरान ने मिसाइल अटैक किया, उस वक्त ये विमान यहां नहीं थे.