Violence In Canada: कनाडा में दो मंदिरों में हंगामा हुआ और हाथापाई भी. टोरंटो के ब्रैम्पटन में हिंदू सभा के मंदिर कैम्पस में घुसकर मारपीट की गई. बैंकूवर के सर्दी में हिंदू टेम्पल के बाहर भी बवाल हुआ. पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में लिया. दोनों मंदिरों के बाहर हंगामा और हमला क्यों किया गया? यह भी आपको बताएंगे लेकिन पहले आप यह जान लीजिए कि हमला किसने किया?
हमला और हाथापाई करने का अरोप प्रो खालिस्तानी लोगों पर है. इन लोगों की भीड़ पीले रंग के खालिस्तानी झंडे लेकर मंदिर परिसर में घुसी. झंडे के डंडों से मंदिर कैम्पस में मौजूद लोगों पर हमला किया, हाथापाई की और ये सब तस्वीरें कैमरों में रिकॉर्ड हुईं. कनाडा के किसी मंदिर में घुसकर मारपीट करने की ऐसी तस्वीरें पहले कभी नहीं देखी गईं. यह पहला मौका है जब भारत का एक समुदाय कनाडा की जमीन पर अपने ही मुल्क के दूसरे समुदाय पर यूं हमला करता देखा गया.
मंदिरों पर हमला और हाथापाई क्यों हुई?
मुद्दा अब यह है कि ब्रम्पट और सर्दी के मंदिरों के बाहर ऐसी हरकत क्यों हुई? यह हमला मंदिर पर है या वहां दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं पर? या फिर हिंदुओं पर हमले के बहाने भारत सरकार के खिलाफ यह एक और साजिश है? दरअसल, कनाडा में भारतीय दूतावास हर साल नवंबर के महीने में काउंसलर सर्विस कैंप लगाता है. भारतीय मूल के उन बुजुर्गों के लिए जिन्हें भारत सरकार से पेंशन मिलती है और रिटायरमेंट के बाद ये पेंशनभोगी अपने परिवार के साथ कनाडा में रह रहे हैं. मंदिर और गुरुद्वारा दोनों जगह ये सर्विस कैंप लगते हैं. काउंसलर सर्विस से पेंशन धारकों को आ रही दिक्कतों का निपटाया किया जाता है.
बैंकूवर के खालसा दीवान गुरुद्वारा साहिब और सरी, ब्रैम्पट के मंदिर में भी यह कैंप लगता है. कनाडा और भारत बीच बिगडे संबंधों को लेकर खालसा दीवान गुरुद्वारा मैनेजमेंट को प्रो खालिस्तानियों के हिंसक एजेंडा की आशंका थी. इसलिए खालसा दीवान ने कनाडा की अदालत का रुख किया. कोर्ट से पेंशन कैंप के दौरान गुरुद्वारा कैम्पस के आसपास विरोध प्रदर्शन पर रोक लगाने की अपील की.
कोर्ट ने इंजेक्शन ऑर्डर दिया कि 60 मीटर के दायरे में ऐसी कोई एक्टिविटी नहीं होनी चाहिए लेकिन सरी और ब्रैम्पटन के मंदिरों के पास ऐसा कोई कोर्ट ऑर्डर नहीं था. इसलिए प्रो-खालिस्तानी एलीमेंट्स को जब दोनों मंदिरों में काउंसलर सर्विस कैंप का पता चला तो विरोध करने इन मंदिरों में पहुंच गए. यहीं से हंगामे की शुरुआत हुई.
पहले सर्री में हिंदू टेम्पल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया गया लेकिन जो तस्वीरें ब्रैम्पटन के हिंदू सभी मंदिर की सामने आंई उनकी निंदा पूरी दुनिया में बसा भारतीय समुदाय कर रहा है.
भारत के खिलाफ पॉलिटिकल साजिश ?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि पिछले एक साल से भारत के खिलाफ कनाडा में इतना कुछ क्यों हो रहा है, इसके पीछे की राजनीति वजह भी है लेकिन उस शख्स का नाम जान लेते हैं, जिसके एजेंडे पर प्रो खालिस्तानी एलीमेंट खुलेआम बदमाशी कर रहे हैं? हमले कर रहे हैं. हाथापाई कर रहे. यह शख्स है जगमीत सिंह. कनाडा की एनडीपी यानी नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी के चीफ और टूडो सरकार का इकलौता सियासी सहारा!
338 सीटों वाले हाउस ऑफ कॉमन में टूडो की पार्टी के पास 153 सीटें है. बहुत के आंकडे से दूर दूडो को एनडीपी का बाहर से समर्थन है. एनडीपी की 25 सीट हैं. एनडीपी का स्पोर्ट खत्म होता है तो ट्रूडो की सरकार अल्पमत में आ जाएगी और अक्टूबर 2025 की की जगह कनाडा में अभी आम चुनाव हो जाएंगे.
टूडो 10 साल का कार्यकाल पूरा करना चाहते हैं, इसीलिए वो जगमीत के आगे सरेंडर मुद्रा में हैं. जगमीत जैसे चाह रहा है, टूडो सरकार का इस्तेमाल अपनी सियासी दुकान चमकाने के लिए कर रहा है. कनाडा की पॉलिटिक्स में जगमीत सिंह सिखों का सबसे बडा लीडर बनना चाहता है. इसके लिए उसे इससे बेहतर सियासी माहौल नहीं मिल सकता.
इकॉनोमी, एंप्लॉयमेंट और इमीग्रेशन को लेकर कनाडा में दूडो के खिलाफ माहौल बना हुआ है ऐसे में जगमीत की एक नाराजगी उनको प्रधानमंत्री की कुर्सी से दूर कर सकती है इसलिए दूडो चुप हैं और जगमीत सिंह भारत से कनाडा के संबंध बिगाड़ने और कनाडा में भारतीय लोगों को बांटने का एजेंडा चला रहे हैं क्योंकि भारत सरकार जगमीत सिंह को खालिस्तानी मानती है एंटी इंडिया एक्टिविस्ट मानती है. जगमीत के भारत आने पर भी पाबंदी है.
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