Anmol Bishnoi Extradited To India: गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल बिश्नोई को अमेरिका के कैलिफोर्निया में पुलिस हिरासत में ले लिया गया है. खुफिया सूत्रों ने बताया कि इस महीने की शुरुआत में अनमोल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था.

यह घटना मुंबई पुलिस की अपराध शाखा की ओर से अनमोल बिश्नोई के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू करने के कुछ सप्ताह बाद हुई है, जो एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी हत्या मामले और अभिनेता सलमान खान के बांद्रा स्थित आवास पर गोलीबारी के मामले में वांछित है. अनमोल पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से दर्ज दो मामले और 18 अन्य आपराधिक मामले भी दर्ज हैं.

एनआईए ने अनमोल पर रखा है 10 लाख का इनाम

हाल ही में एनआईए ने अनमोल बिश्नोई की गिरफ्तारी में सहायक सूचना देने वाले व्यक्ति को 10 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है. इस महीने के पहले सप्ताह में मुंबई पुलिस ने अनमोल के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक प्रस्ताव भेजा था. यह प्रस्ताव तब भेजा गया जब अमेरिकी अधिकारियों ने अनमोल बिश्नोई के उनके देश में होने की जानकारी मुंबई पुलिस को दी.

पुलिस अधिकारी ने बताया कि मुंबई पुलिस ने अनमोल बिश्नोई के प्रत्यर्पण का प्रस्ताव गृह मंत्रालय (एमएचए) को भेजा है, जिसे बाद में विदेश मंत्रालय (एमईए) को भेजा जाएगा. इस मामले में पंजाब के फाजिल्का के रहने वाले बिश्नोई बंधुओं की संलिप्तता का संदेह है. लॉरेंस बिश्नोई फिलहाल गुजरात के साबरमती की जेल में बंद है.

भारत कैसे आएगा अनमोल बिश्नोई?

किसी भी आरोपी को दूसरे देश से भारत लाने के लिए दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि होनी जूरूरी होती है. अगर ये न भी हो तो प्रत्यर्पण अरेंजमेंट से भी काम चल जाता है. भारत में इसको लेकर 1962 में कानून बनाया गया था. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत की 48 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि और 12 देशों के साथ प्रत्यर्पण अरेंजमेंट है. संधि में ये समझौता किया जाता है कि अगर दूसरे देश में वॉन्टेंड अपराधी मिलता है तो उसे बाद में वापस भेज दिया जाता है.

भारत ने अमेरिका के साथ 1997 में प्रत्यर्पण संधि की थी. 2002 से लेकर 2019 के बीच 10 अपराधियों को अमेरिका से भारत लाया जा चुका है. प्रत्यर्पण को लेकर अलग-अलग देशों के अलग-अलग कानून होते हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानून में इसको लेकर कुछ चीजें कॉमन होती हैं.

क्या कहता है अंतरराष्ट्रीय कानून?

अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत राजनीतिक अपराध, सैन्य अपराध और धार्मिक अपराध के आरोपी को प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता है. इतना ही नहीं इसके लिए ये भी जूरूरी है कि जिस आरोपी को प्रत्यर्पित करने की मांग की गई है, उसका अपराध दोनों देशों को मानना जरूरी होता है. इसके अलावा, जिस अपराध के लिए प्रत्यर्पित करने की मांग की गई है, इसके बाद भी उसके ऊपर वही मुकदमा चलना चाहिए कोई दूसरी मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. मानवाधिकारों का भी ध्यान रखा जाता है.

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