हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह मारा जा चुका है. लेबनान से लेकर ईरान तक शोक मनाया जा रहा है. पांच दिन के शो का ऐलान किया गया है. घर, दफ्तर और बाजार सब बंद है. लेबनान-इजरायल जंग को लेकर दुनिया भर में प्रतिक्रिया आ रही है. इजरायल की तरफ से बंधकों की रिहाई तक युद्ध जारी रखने का ऐलान किया गया है. लेबनान ने कहा है कि शनिवार को इजरायल की तरफ से हुए हमले में 33 लोगों की मौत हुई है और 195 लोग घायल हुए हैं.
इसी बीच इजरायल डिफेंस फोर्सेस ने एक बड़ा खुलासा किया है. आईडीएफ का दावा है कि हसन नसरल्लाह जिस अंडरग्राउंड हेडक्वार्टर में छिपा था, वो संयुक्त राष्ट्र संघ के स्कूल से महज 53 मीटर दूर है. लेबनान के बेरूत में स्थित ये जगह रिहाइशी इलाके में है. यहां आम लोग रहते हैं. इनके बीच नागरिक इमारतों के नीचे नसरल्लाह कई कमांडरों और लड़ाकों के साथ मौजूद था. आईडीएफ ने उसके साथ 20 से अधिक आतंकवादियों को भी मार गिराया गया है.
आईडीएफ प्रवक्ता ने कहा कि हसन नसरल्लाह के साथ मारे गए आतंकियों में अहम नाम इब्राहिम हुसैन जाजिनी (सिक्योरिटी चीफ), समीर तौफिक दिव (एडवाइजर), अब्देल अमीर मुहम्मद सब्लिनी (प्रमुख कमांडर) और अली नाफ अयूब का है. इजरायल दूसरे देश में घुसकर अपने दुश्मनों को मारने में माहिर माना जाता है. आधे घंटे के ‘ऑपरेशन न्यू आर्डर’ के जरिए उसने एक बार फिर खुद को साबित कर दिया है. इस ऑपरेशन की इनसाइड स्टोरी बहुत दिलचस्प है.
लेबनान के बेरूत के पास दहियाह उपनगर मे रिहायशी इमारतों के बीच शुक्रवार की रात 9 बजे अचानक बम बरसने लगे. कई सौ फुट की ऊंचाई तक आग के शोले उठे. ऐसे लगा जैसे दहियाह शहर में भूकंप आ गया हो. पूरे शहर में डर आतंक खौफ पसर गया. इमारतें हिलने लगी. कुछ मिनट के भीतर दहियाह के सबसे घने रिहायशी इलाके की एक साथ छह इमारतें जमींदोज हो चुकी थी. ये था इजरायल के इतिहास का सबसे खतरनाक ऑपरेशन, जिसका नाम था ‘ऑपरेशन न्यू आर्डर’.
इजरायल का मोस्ट वांटेंड हसन नसरल्लाह मारा जा चुका है. ये तो सबको पता है, लेकिन आखिर कैसे इस सटीक ऑपरेशन को अंजाम दिया गया, इसकी पूरी अंदरूनी कहानी कुछ ऐसी है. हमलों का सिलसिला शुक्रवार से दस दिन पहले शुरु हो चुका था. लेबनान में हिज्बुल्लाह के लड़ाकों के हाथों के मोबाइल और पेजर अचानक फटने लगे. ये शुरूआत थी, जिसके बाद तो दस दिन के भीतर इजरायल ने लेबनान पर हमलों की झड़ी लगा दी. लगातार हमले किए जाते रहे. रोज मौते होती रहीं.
इन सबके बीच इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को खबर मिली कि बेरूत के एक उपनगर दहियाह में रिहायशी इलाके के नीचे अंडरग्राउंड हिज्बुल्लाह के साउथ हेडक्वर्टर के भीतर टॉप कमांडरों के साथ सैयद हसन नसरल्लाह भी मौजूद है. तब उसके साथ उसकी बेटी जैनब और साउथ रेंज का कमांडर अली काराकी भी मौजूद था. उस वक्त इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू यूनाइटेड नेशंस के हेडक्वार्टर में भाषण दे रहे थे. उससे पहले वो इस ऑपरेशन को हरी झंडी दिखा चुके थे.
तेल अवीव के सैन्य हवाई अड्डे से इजरायल के लडाकू विमानों ने उड़ाने भरी. उनका टारगेट था बेरूत के दहियाह में हिज्बुल्लाह का हेडक्वार्टर. इसके बाद ऐसा हमला हुआ कि पूरा बेरूत दहल उठा. हिज्बुल्लाह पर ये सबसे बड़ा हमला था. कुल आधे घंटे तक बेरूत में हिज्बुल्लाह के हेडक्वार्ज्ञटर पर बम बरसाए जाते रहे. आसपास की छह इमारतें जमींदोज हो गईं. 20 मीटर यानी 65 फुट का एक बडा विशाल गड्ढा बना गया. इन इमारतों में कुछ नहीं बचा. मलबे का ढेर जमा हो गया.
नसरल्लाह के बचने की कोई गुंजाशन नहीं छोड़ी गई. कुछ घंटों के बाद आखिर ऐलान हो गया कि नसरल्लाह मारा जा चुका है. इजरायली सेना ने एक ट्वीट के जरिए बताया कि नसरल्लाह से डरने की अब जरूरत नहीं है. वो अब आतंक नहीं फैला पाएगा. हालांकि हिज्बुल्लाह ने पूरे 20 घंटे के बाद ये माना की उसका मुखिया हसन नसरल्लाह मारा जा चुका है. पूरे बेरूत के 40 फीसदी इलाके को इजरायल ने उजाड़ दिया. हर तरफ से धूआं उठता दिखा. लोगों में अफरा-तफरी देखी गई.
हिज्बुल्लाह की कमर इजरायल करीब-करीब तोड़ चुका है. उसके सारे टॉप कमांडर मारे जा चुके है. लेकिन सवाल ये है कि क्या हिज्बुल्लाह एक बार फिर से खडा हो सकता है. हिज्बुल्लाह ने नसरल्लाह के मारे जाने के बाद उसके भाई हाशेम सफिउद्दीन को संगठन की जिम्मेदारी सौंपी है. पहले से ये कयास थे कि हाशेम को ही जिम्मा मिलेगा और आखिर ये फैसला सामने आ गया. ईरान की सरपरस्ती के दम पर हाशेम को ही हिज्बुल्लाह की कमान मिल गई है.
हाशेम सफीउद्दीन हमेशा से नसरल्लाह का भरोसेमंद रहा है. इस खतरनाक आतंकी संगठन के राजनीतिक मामले देखता रहा है. हाशेम कमान संभालेगा इसकी कई वजह है. हिज्बुल्लाह के अलग-अलग देशों और संगठनों से होने वाली हर डील का काम हाशेम ही देखता था. उनके राजनीतिक मामले भी वही देखता था. हथियारों की भी उसे जानकारी है. हिज्बुल्लाह के रणनीतिक मामले भी वही देखता रहा है. यही वजह है ईरान की देखरेख में उसके एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है.